मजदूरों को खुदाई में मिले प्राचीन स्वर्ण-रजत सिक्के, गुप्त बंटवारे से खुला राज



शहडोल। जिले के गोहपारू थाना क्षेत्र के खाम्हा गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया जब घर निर्माण कार्य के दौरान प्राचीनकालीन खजाना मिलने का मामला सामने आया। सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक पूरन सिंह की निजी भूमि में निर्माण के लिए की जा रही खुदाई के दौरान मजदूरों को एक मिट्टी के पात्र में सोने-चांदी के दुर्लभ सिक्के मिले, जिन्हें उन्होंने गुप्त रूप से आपस में बांट लिया।

जानकारी के अनुसार शिक्षक पूरन सिंह अपने पुराने मकान के समीप स्थित खाली भूमि पर नया मकान बनवा रहे थे। निर्माण कार्य गांव के ही ठेकेदार के माध्यम से कराया जा रहा था, जिसमें तीन मजदूर—बुद्ध सेन सिंह, रवि सिंह और रामनाथ अगरिया कार्यरत थे। जब पिलर डालने के लिए गड्ढा खोदा जा रहा था, उसी दौरान मजदूरों को एक प्राचीन मिट्टी के घड़े में सोने-चांदी के सिक्के प्राप्त हुए।

हालांकि मजदूरों ने इस महत्वपूर्ण खोज की सूचना मकान मालिक को नहीं दी और खजाने को आपस में बांट लिया। लेकिन बंटवारे में असहमति के चलते मजदूरों के बीच हुई बातचीत शिक्षक पूरन सिंह तक पहुंच गई। उन्होंने जब इस संबंध में पूछताछ की, तो मजदूरों ने पहले टालमटोल किया, लेकिन बात छुपती नहीं देख वह सीधे गोहपारू थाने पहुंचे और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों मजदूरों के घरों में छापेमारी की। छानबीन में 51 चांदी के सिक्के और दो सोने के सिक्के बरामद किए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, चांदी के प्रत्येक सिक्के का वजन लगभग 11 ग्राम है, जबकि एक स्वर्ण मुद्रा का वजन एक तोले से अधिक आंका गया है। फिलहाल सिक्कों की ऐतिहासिकता और मूल्य का परीक्षण किया जा रहा है।

गोहपारू थाना प्रभारी के अनुसार तीनों मजदूरों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। वहीं शिक्षक पूरन सिंह का कहना है कि यदि मजदूरों ने समय पर जानकारी दे दी होती तो मामला पुलिस तक नहीं पहुंचता।

यह मामला न सिर्फ एक प्राचीन धरोहर की प्राप्ति का है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ऐसे अनमोल इतिहासिक विरासतों की जानकारी छुपाना कानूनी दृष्टिकोण से गंभीर अपराध बन सकता है। सिक्कों की ऐतिहासिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए पुरातत्व विभाग को भी सूचित किया गया है।


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