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जिन पे अजल तारी थी / अकबर हैदराबादी
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जिन पे अजल तारी थी उन को ज़िंदा करता है
सूरज जल कर कितने दिलों को ठंडा करता है
कितने शहर उजड़ जाते हैं कितने जल जाते हैं
और चुप-चाप ज़माना सब कुछ देखा कर...