भारत में बनी पहली स्मार्ट जैकेट, जो डटकर करेगी कोरोना का मुकाबला

कोरोना संक्रमण के मामलों में भारत (corona infection in India) दुनिया में तीसरे स्थान पर है. रूस और अब चीन भी इसकी वैक्सीन लाने (coronavirus vaccine by Russia and China) के दावे कर रहे हैं लेकिन पारदर्शिता न होने के कारण फिलहाल देश उनसे टीका खरीदने की बात नहीं कर रहा. ऐसे में कोरोना संक्रमण से बचाव के नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं. अब विशेषज्ञों ने एक खास किस्म की जैकेट बनाई है जिसमें एंटी-वायरल गुण बताए जा रहे हैं. साथ ही इसमें वे तमाम खूबियां है जो कोरोना से बचाव में जरूरी मानी जा रही हैं.

क्या हैं इसकी खूबियां
दावा है कि जैकेट में कोरोना से लड़ने की सारी खूबियां हैं. जैसे इसकी फिनिश एंटी-वायरस है यानी वायरस इसके पास भी नहीं फटकेंगे. इसकी वजह ये है कि ये सेमी-फ्लैक्स से बना है. ये ऐसा फैब्रिक है, जिसमें नेचुरल और सिंथेटिक दोनों मटेरियल हैं. ये मिलकर चमड़े जैसा लुक देते हैं. जैकेट पर Viroban-N9 SC 100 नाम पदार्थ की परत चढ़ी होती है. ये पदार्थ एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल दोनों ही है. इसका मतलब ये है कि ये वायरस से ही नहीं, बल्कि बारिश या किसी भी मौसम में पनपने वाले खतरनाक बैक्टीरिया से बचा सकेगा.
सोशल डिस्टेंसिंग तोड़ने पर बीप की आवाज
इन सारे गुणों के साथ एक और अहम बात इस जैकेट को खास बनाती है, वो है इसमें लगे सेंसर. जी हां, जैकेट में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सेंसर लगे हुए हैं. यानी जब भी इसे पहना व्यक्ति नियत दूरी का पालन न करे या फिर कोई दूसरा व्यक्ति पास आए तो जैकेट अलर्ट कर देती है. इस लिहाज से देखा जाए तो पब्लिक प्लेस पर पहनने के हिसाब से जैकेट काफी काम की है. बाहर निकलते हुए कई बार लोग खरीदी के बाद नोट-सिक्के जैसी चीजें जेब में डाल लेते हैं. फिलहाल कोरोना के कारण ऐसा करना खतरनाक हो सकता है. इसे टालने के लिए जैकेट में सेनिटेशन पॉकेट्स बनाए गए हैं. इनमें जो भी डाला जाए, वो सेनिटाइज हो जाता है. एक और अहम बात ये है कि जैकेट के साथ ही इन-बिल्ट मास्क भी है. यानी पहनने वाले को अलग से मास्क कैरी करने की जरूरत नहीं.
किसने तैयार की
इतनी खूबियों वाला जैकेट गुजरात में तैयार हुआ है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (National Institute of Design) अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर सोमेश सिंह का दावा है कि उनकी बनाई ये जैकेट क्राफ्ट और तकनीक का बेहतरीन मेल है. वे बताते हैं कि जैकेट चार लेयर्स में बनी है, जिसमें गुजरात की सूती कपड़ों पर ब्लॉक प्रिंटिंग की तकनीक से मिलाते हुए तैयार किया गया. साथ ही इसमें वे सारी बातें हैं, जो सार्वजनिक जगहों पर पहनने वाले को संक्रमण से दूर रखे.
जैकेट बनाने में पूरे दो महीने का वक्त लगा. इसके बाद जाकर प्रोटोटाइप तैयार हो सका. अब इसे ISO की मान्यता का इंतजार है. माना जा रहा है कि इसके बाद सितंबर तक ये जैकेट ऑनलाइन मिल सकेगी. शुरुआत में इसकी कीमत 4,999 रुपए होगी, जो मांग बढ़ने पर कम भी हो सकती है. ये कई साइजों में भी मिल सकेगा.



प्रोफेसर सिंह ने द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें ये जैकेट बनाने का आइडिया आया. लॉकडाउन के बाद बाहर निकलने पर उन्हें कई ऐसे हालातों का सामना करना पड़ा जो संक्रमण का डर बढ़ाते हैं. ऐसे में प्रोफेसर सिंह स्मार्ट क्लोदिंग के बारे में पढ़ने लगे.

 

हालांकि भारत में इस तरह की चीजें उपलब्ध नहीं हैं. यही देखते हुए उन्होंने इस तरह का कोई कपड़ा डिजाइन करने का सोचा. वे साफ कहते हैं कि ये जैकेट कोरोना का इलाज नहीं है लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर लोगों से दूरी रखने और गाड़ी की चाभी से लेकर कार्ड और सिक्के तक को घर पहुंचने से पहले ही सेनिटाइज करने का अच्छा तरीका है. कुल मिलाकर ये किसी इम्युनिटी बूस्टर की तर्ज पर काम करता है, जो कोरोना से बचाता तो नहीं लेकिन इंफेक्शन का डर कम करता है.

कैसी दिखती है जैकेट
ये किसी सामान्य जैकेट जैसी ही नजर आती है लेकिन इसके भीतर कई फीचर्स हैं. जैसे कंधों पर और पीठ की ओर सेंसर फिट किए हुए हैं. जैसे ही कोई 8 फीट की दूरी लांघे, ये तुरंत बीप की आवाज करते हैं. सामने की ओर डिजिटल थर्मामीटर है, जो ऊंगली से छूने भर से आपके शरीर का तापमान बताता है. इसकी जेबें काफू बड़ी, लगभग 6X10 इंच की हैं. इनमें कार्ड, गाड़ी की चाभी, पैसे जैसी चीजें डालने पर यूवी लाइट के जरिए 30 सेकंड में सेनिटाइज हो सकते हैं. UV किरणों को ऑन करने के लिए इसमें मेटल के बटन हैं, जो शो-बटन जैसे दिखते हैं.

इसकी देखभाल आम कपड़ों जैसी ही होगी. जैसे पहनने पर हर 14 दिनों में इसे ड्राय-वॉश कराना होगा. धोने के लिए देने से पहले इसकी बैटरी निकालनी होगी.

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