
स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से पूरे देश में इसे लागू किया जायेगा। एसएचजी अपने सदस्यों को कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों के लिए ऋण उपलब्ध कराएंगे। हर एसएचजी को चार लाख रुपये की आरंभिक राशि दी जाएगी। इसमें अधिकतर ऐसे उद्यमों को अधिक फायदा होगा जो ग्रामीण इलाकों में कुटीर उद्योग की तरह काम कर रहे हैं। अनुमान है कि देश में 25 लाख अपंजीकृत, अनौपचारिक खाद्य प्रसंस्करण उद्यम हैं। इनमें करीब 66 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं तथा लगभग 80 प्रतिशत का संचालन पारिवारिक कारोबार के रूप में हो रहा है। इस योजना से उन्हें नयी प्रौद्योगिकी अपनाने, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बेहतर पहुच बनाने तथा एक ब्रांड स्थापित करने में मदद मिलेगी।