जबलपुर (मध्यप्रदेश)। जबलपुर में आठ घोड़ों की अचानक हुई मौत ने पशु कल्याण से जुड़े संगठनों और प्रशासनिक महकमे को सकते में डाल दिया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश देते हुए 57 घोड़ों के सैंपल जांच के लिए हरियाणा की प्रयोगशाला में भेज दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2025 में हैदराबाद से 57 घोड़े जबलपुर लाए गए थे। इनमें से अब तक आठ घोड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि शेष कई घोड़ों की हालत चिंताजनक बताई जा रही है। घोड़ों को जबलपुर के पनागर स्थित एक खटाल में रखा गया था, जहाँ की स्थिति घोड़ों के रहने योग्य नहीं थी। पशु चिकित्सकों का मानना है कि अत्यधिक गर्मी, अनुचित रखरखाव और संक्रमण के कारण ये मौतें हुई हैं। फिलहाल घोड़ों का उपचार किया जा रहा है।
हालांकि इस मामले में पशु प्रेमी सिमरन इतशर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि यह केवल लापरवाही का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है। उन्होंने आरोप लगाया है कि हैदराबाद रेस क्लब से जुड़े सुरेश पालगुडु और सुरेंद्र रेड्डी ने अवैध सट्टेबाज़ी और रेसिंग घोटाले को छिपाने के लिए दर्जनों घोड़ों को मौत के घाट उतारा।
सिमरन इतशर का कहना है कि "हॉर्स पॉवर स्पोर्ट्स लिमिटेड (HPSL)" और "हिता नेट प्राइवेट लिमिटेड" नाम की कंपनियों की आड़ में अवैध रेसिंग और सट्टेबाज़ी का खेल चलाया जा रहा था। उन्होंने दावा किया कि इस काले कारोबार से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक होने के डर से घोड़ों को मार दिया गया। पशु प्रेमियों के मुताबिक फिलीपींस में भी इन्हीं लोगों पर इसी तरह के आरोप लग चुके हैं।
इतना ही नहीं, सिमरन ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने घोड़ों की हालत देखने की कोशिश की, तो उन्हें खटाल में जाने से रोका गया। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को एनिमल क्रुएलिटी (पशु क्रूरता) और एनिमल ट्रैफिकिंग का मामला बताते हुए न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है।
घटनाक्रम की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम गठित की है, जो पूरे मामले की जांच करेगी। इस बीच PETA जैसी संस्थाओं द्वारा संभावित छापेमारी की सूचना के बाद साक्ष्य मिटाने की कोशिशें किए जाने की भी आशंका जताई जा रही है।