रांची/जशपुर। रांची थाना क्षेत्र के सर्वा पीपर गांव में होली के दौरान हुए पुराने विवाद ने खूनी मोड़ ले लिया। शुभम चौधरी की हत्या के मामले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने चार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन बाद में मृतक के परिजनों के बयान के आधार पर आरोपी संख्या बढ़ाकर छह कर दी गई।
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मनोज तिवारी, हेमंत तिवारी, दिनेश तिवारी, अभिषेक फ्रांसिस मार्टिन एन्थोनी, भारु सोनी और भानु तिवारी शामिल हैं।
घटना 16 और 17 मई की दरमियानी रात की है, जब करीब तीन बजे उपरोक्त आरोपियों ने शुभम चौधरी पर उस समय हमला कर दिया जब वह अपने घर लौट रहा था। हमले में उसके सिर में गंभीर चोटें आईं, जिससे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पहले दर्ज रिपोर्ट में चार नामजद आरोपी थे, लेकिन शव पंचनामा और परिजनों के विस्तृत बयान के बाद दो अन्य नाम सामने आए।
होली पर हुई कहासुनी बनी हत्याकांड की जड़
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह झगड़ा होली के दिन शुरू हुआ था, जब आरोपी हेमंत तिवारी और शुभम के बीच कहासुनी हो गई थी। उसी दौरान शुभम ने हेमंत की गाड़ी में तोड़फोड़ कर दी थी। इसी बात से नाराज़ होकर आरोपियों ने रंजिश पाली और साजिश रची।
रात को हेमंत, मनोज, अभिषेक और अन्य आरोपी शुभम के घर पहुंचे और गाली-गलौज करते हुए उसे बाहर निकलने को मजबूर किया। जैसे ही शुभम बाहर आया, उस पर तलवार और रॉड से हमला कर दिया गया।
हत्या में सुनियोजित साजिश के संकेत
प्रत्यक्षदर्शियों और मृतक के परिजनों के अनुसार हमलावरों ने पहले से पूरी तैयारी कर रखी थी। हमला इतनी तेजी और क्रूरता से किया गया कि मौके पर शुभम की हालत गंभीर हो गई और इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
इस हमले में मार्टिन एन्थोनी समेत अन्य आरोपी भी शामिल रहे, जिन्होंने मृतक पर हथियारों से वार किया और उसके चाचा शुभ रंजन तथा अन्य पर भी हमला करने का प्रयास किया।
सांप्रदायिक तनाव की आशंका से पुलिस सतर्क
घटना के बाद जब शुभम का शव थाने पहुंचाया गया, तो परिजनों और ग्रामीणों ने थाने के सामने प्रदर्शन किया। लोगों की मांग थी कि आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और मृतक को न्याय मिले।
घटना के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस का कहना है कि यदि समय रहते इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा जाता, तो यह मामला सांप्रदायिक तनाव का रूप भी ले सकता था।