बढ़ने लगा है आलस और सुस्ती... डेली लाइफ में करें ये बदलाव, बहुत लाइट फील करेंगे आप



जनवरी बीतने के बाद और फरवरी आने के साथ, सर्दी का मौसम जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. क्योंकि फरवरी से लेकर मिड मार्च तक कभी अधिक सर्दी तो कभी तेज गर्मी का दौर चलने लगता है. इस बदलते मौसम का असर शरीर पर भी दिखने लगता है. इसे आप इस तरह पहचान सकते हैं कि आप खुद को अधिक लेज़ी और थका हुआ फील करते हैं. किसी काम पर फोकस करने में भी दिक्कत होने लगती है और चीजों को समझने में, डिसिजन लेने में भी दिक्कत होने लगती है. ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे बच सकते हैं, इस बारे में यहां जानें...

क्यों आता है आलस?

आयुर्वेद के अनुसार, बदलते मौसम में शरीर में कफ बढ़ने लगता है. बढ़ा हुआ कफ शरीर में भारीपन बढ़ाता है और इससे आलस की समस्या होने लगती है. जब आलस और हेवीनेस की समस्या एक साथ होती है तो इससे आपका फोकस प्रभावित होता है और मन लगाकर किसी भी काम को करने में समस्या होने लगती है.

आलस और शरीर में भारीपन से कैसे बचें?

फ्रेशनेस और एनर्जी फील करने के लिए आप त्रिफला चूर्ण का यूज दो तरीके से कर सकते हैं. पहला है इस पाउडर को लेकर इसे थोड़ी सी मुलतानी मिट्टी या शहद के साथ मिक्स करके त्वचा पर स्क्रब करें. इससे स्किन में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और फ्रेशनेस आती है.
त्रिफला चूर्ण का सेवन खाना खाने के बाद आएक चौथाई चम्मच या आधा चम्मच मात्रा में करें. इससे पाचन बेहतर रहता है. यदि आप इसे खाना नहीं चाहते तो खाना खाने के बाद हरी इलायची चबाकर खा सकते हैं या हरड़ की एक गोली लेकर चूस सकते हैं.
बदलते मौसम में सर्दियों के दौरान खाए जाने वाले भारी प्रकृति के फूड को धीरे-धीरे गुडबाय करना शुरू कर देना चाहिए. जैसे, गोंद के लड्डू, सीड्स के लड्डू, मावा और खोया से बनी मिठाइयां. इनकी जगह दिन की डायट में कच्ची सब्जियों की सलाद शामिल करनी चाहिए.
बीन्स को अपनी डायट में शामिल करें. हल्का फील कराने वाली सब्जियां धीरे-धीरे अपनी डायट में फिर से शामिल करना शुरू करें. हेवी आटा जैसे चावल का आटा, बाजरे का आटा इत्यादि का सेवन धीरे-धीरे करके बंद करना शुरू दें.
मीठा खाना कम करें. चाय-कॉफी का सेवन सर्दियों में काफी हद तक बढ़ जाता है लेकिन अब आपको हर्बल टी और छाछ का सेवन शुरू करना चाहिए. छाछ हमेशा दोपहर के समय पिएं.
जब थकान और आलस बहुत अधिक लगे तो स्टीम लें. क्योंकि भाप लेने से बॉडी बहुत लाइट फील होती है और एनर्जी लेवल बढ़ता है. क्योंकि स्टीम स्किन और बॉडी को डिटॉक्स करने का काम करती है.

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