8 दिसंबर को मनाई जाएगी अन्नपूर्णा जयंती, इस दिन मां पार्वती ने लिया था अन्नपूर्णा देवी का रूप, जानें पूरी कथा



हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह (अगहन) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 8 दिसंबर को पड़ रही है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति सच्ची निष्ठा और भक्ति से माता पार्वती की पूजा-आराधना करते हैं, उनके जीवन में अन्न-धन की कमी नहीं रहती। इस दिन मां अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए इन नियमों का पालन करें।


अन्नपूर्णा जयंती के दिन क्या करें
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह दिन बहुत पवित्र माना जाता है। इस दिन रसोई घर को साफ-सुथरा कर गंगाजल से शुद्ध करें। इसके साथ ही चूल्हे, स्टोव, गैस आदि की भी पूजा करें। अन्नपूर्णा जयंती के दिन अन्न का दान करने से देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं। इस दिन लाल, पीला और सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। अन्नपूर्णा माता की पूजा सुबह ब्रह्म मुहूर्त और संध्याकाल में ही करें।


अन्नपूर्णा जयंती पर क्या न करें
अन्नपूर्णा जयंती पर रसोई घर को गंदा न रखें। देवी अन्नपूर्णा की पूजा में दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। अन्नपूर्णा जयंती पर नमक वाला भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन रसोईघर में मांस-मछली या तामसिक भोजन नहीं बनाएं। अन्नपूर्णा जयंती के दिन अन्न की बर्बादी नहीं करनी चाहिए।


ऐसे हुई थी उत्पत्ति
ऐसी मान्यता है कि एक समय जब धरती पर पानी और अन्न समाप्त होने लगा और जिससे चारों ओर हाहाकार मचने लगा तब मनुष्यों ने अन्न की समस्या से मुक्ति के लिए भगवान ब्रह्माजी एवं विष्णुजी की आराधना प्रारंभ कर दी। मनुष्यों की करुण पुकार सुनकर श्री ब्रह्म देव एवं श्री विष्णु जी ने आदिदेव भगवान शिवजी की आराधना कर उन्हें योग मुद्रा से जगाया। भगवान शिव ने पृथ्वी का भ्रमण किया और इसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप और भगवान शिव ने भिक्षु का रूप धारण किया। भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर पृथ्वी वासियों के बीच वितरित की। तभी से सभी देवों के साथ धरती के मनुष्यों ने भी मां अन्नपूर्णा की पूजा आराधना आरंभ कर दी। जिस दिन मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, वह मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन अन्न दान का विशेष महत्व है।

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