Farmer Movement: किसानों का 27 सितंबर को भारत बंद, बैंक यूनियन ने दिया समर्थन



केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों (agricultural laws ) के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते 9 महीनों से जारी है। किसान (Farmers) दिल्ली की सीमाओं (Delhi Borders) पर कृषि कानूनों के रद्द कराने की मांग को लेकर डटे हैं। आंदोलन (Protest) कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) ने 27 सितंबर को 'भारत बंद' की घोषणा की है। साथ ही संगठन ने कहा कि भारत बंद शांतिपूर्ण होगा और किसान ये सुनिश्चित करेंगे कि लोगों को कम से कम असुविधा का सामना करना पड़े।

27 सितंबर को किसानों के आंदोलन को पूरे 300 दिन हो जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, देश के बैंक यूनियन ने किसानों के भारत बंद (Bharat Bandh) को समर्थन देने को कहा है। अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (All India Bank Officers' Confederation) ने सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) की मांगों पर उसके साथ फिर से बातचीत शुरू करने और तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की अपील की है। किसान संगठनों (Farmers' organizations) ने भारत बंद के निर्णय से पीछे हटने से साफ मना कर दिया है।

संघ (Sangh) ने इस सितंबर महीने की शुरुआत में जारी एनएसएस भूमि (NSS Lands) और परिवारों के पास पशुधन और कृषि परिवारों की स्थिति आकलन 2018-19 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का केंद्र की मोदी सरकार का लक्ष्य दूर का सपना लगता है। प्रति कृषि परिवार का औसत बकाया ऋण साल 2018 में बढ़कर 74,121 रुपये हो गया है जोकि साल 2013 में 47 हजार रुपये था। कृषि परिवारों का बढ़ता कर्ज गहराते कृषि संकट को दर्शाता है।

गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बीते हफ्ते कहा था कि तीनों कृषि कानूनों को जब तक वापस नहीं लिया जाएगा तब तक वो अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। टिकैत ने यह भी कहा था कि जब तक हम जीत नहीं जाते तब तक कोई ताकत हमें वहां से हटा नहीं सकती है।

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