Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अब बुरा दौर धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. कंपनियों के तिमाही के नतीजे और निजी कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी करने से कम से कम तो ऐसी ही लगने लगा है. इसके साथ-साथ त्योहारी सीजन में उपभोक्ता मांग (Consumer demand) में तेजी से भी इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं. साथ ही Economic Indicators में भी तेजी के संकेत दिख रहे हैं.
इस वजह से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की रफ्तार अनुमान से बेहतर रहने की उम्मीद है. ये बात वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर की आर्थिक समीक्षा में कहा है.
वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर के लिए आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल वक्त बीत चुका है. भारत की वित्त वर्ष 20 21 की GDP अनुमान से बेहतर रह सकती है. भारत ने विकसित देशों के मुकाबले कोरोना को अच्छे से संभाला है. अक्टूबर में आर्थिक गतिविधियों में तेजी के संकेत मिले हैं. त्योहारों में उपभोग में और तेजी आने की उम्मीद है. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि खाद्य महंगाई भी कम होने की उम्मीद है. सरकार की तरफ से आर्थिक मोर्च पर स्थिति सामान्य करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. करंट अकाउंट सरप्लस से खर्च की क्षमता बढ़ने की उम्मीद है. सितंबर के कोर WPI में बढ़ोतरी से मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी.
इसके साथ वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम घटने से भारत को फायदा होता दिख रहा है. भारत सस्ते दर पर कच्चा तेल खरीदकर अपना रिजर्व और बढ़ा सकता है. सस्ते दर कच्चे तेल के भंडारण से महंगे दर पर तेल खरीदने का खतरा भी कम हो जाएगा. इसके अतिरिक्त भारत में तेल की कीमतों लगातार काफी दिनों से तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. तेल के भाव तकरीबन स्थिर बने हुए हैं.
त्योहारी सीजन में उपभोक्ता मांग बढ़ने से उत्पादों की बिक्री होगी, जिससे सरकार के खजाने में जीएसटी के जरिए काफी पैसे आने की उम्मीद बढ़ती जा रही है.