साबुन से हाथ धोने पर कैसे खत्म हो जाता है कोरोना वायरस? जानिए ऐसे ही पांच जरूरी सवालों के जवाब

दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर अब दो करोड़ 73 लाख के पार हो गए हैं जबकि मरने वालों की संख्या भी आठ लाख 93 हजार के ऊपर है। हालांकि खुशी की बात ये है कि इस वायरस के संक्रमण से ठीक होने वालों की संख्या एक करोड़ 93 लाख से ऊपर है। संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले अमेरिका में सामने आए हैं। वहां 64 लाख 60 हजार से ज्यादा लोग अब तक संक्रमित हो चुके हैं। इस मामले में भारत भी कुछ कम नहीं है। सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले में भारत अब ब्राजील को पीछे छोड़कर दूसरे स्थान पर आ गया है। यहां संक्रमण के मामले 42 लाख के पार हो गए हैं जबकि मरने वालों की संख्या भी 71 हजार के ऊपर है। इस वायरस से बचने के लिए लोगों को कई तरह की सलाह दी गई है, जिसमें मास्क पहनना और साबुन से हाथ धोते रहना प्रमुख है। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि आखिर साबुन से हाथ धोने पर कोरोना वायरस कैसे खत्म हो जाता है?
आइए जानते हैं ऐसे ही पांच जरूरी सवालों के जवाब...
मनोविशेषज्ञ डॉ. अवधेश शर्मा के मुताबिक, 'कोमोरबिडिटी से ग्रसित लोग कई बार न्यूज देखकर तनाव में आ जाते हैं। ऐसे लोग जीवन में अनिश्चितता को लेकर परेशान रहते हैं। ध्यान रखें कि कोरोना ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है। लोग फेक न्यूज भी फॉरवर्ड करते रहते हैं। कई बार आने वाले समय की चिंता करते हैं। इसके तीन प्रमुख उपाय हैं- अपने रुटीन में नियमितता लाएं। काम, एक्सरसाइज, परिवार के साथ समय, नींद आदि के लिए समय निश्चित करें। दूसरा, लोगों से कनेक्टेड रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समय पर भोजन करें। अगर सेहत सही होगी तो बीमारी नहीं आएगी और तनाव और परेशानी से दूर रहेंगे।'
किसी सतह से संक्रमण का कितना खतरा रहता है?

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉ. मधुर यादव के मुताबिक, 'यह निर्भर करता है कि वायरस के ड्रॉपलेट किस सरफेस यानी सतह पर गिरे हैं। जैसे किसी सूखी चीज पर गिरे तो कुछ घंटे बाद खत्म हो जाएंगे। वहीं गीली सतह पर वायरस ज्यादा दिन रह सकता है। सबसे जरूरी बात यह है कि वायरस वसा, प्रोटीन आदि से बना है। इसलिए साबुन से हाथ धोने पर यह खत्म हो जाता है। ध्यान रहे, किसी सतह पर वायरस है तो वह केवल आपके हाथों के जरिए ही आपके मुंह या नाक तक पहुंच सकता है। इसलिए हाथ धोते रहें।'

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉ. नीरज गुप्ता के मुताबिक, 'पहला आरटी-पीसीआर टेस्ट है, जिसमें 6-8 घंटे लगते हैं। इसे गोल्ड स्टैंडर्ड मानते हैं। इसमें जांच के सही आने की 70 फीसदी संभावना रहती है। दूसरा एंटीजन टेस्ट है, जिसमें 15 मिनट से आधे घंटे तक में रिपोर्ट आ जाती है। एंटीजन में 40 फीसदी तक मरीज के पकड़े जाने की संभावना रहती है। अगर इसमें मरीज नेगेटिव है और लक्षण आते हैं, तो ही उनका आरटी-पीसीआर टेस्ट करके एक बार कंफर्म किया जाता है। तीसरा ट्रूनेट सिस्टम है, जिसमें रिपोर्ट आने में आधे घंटे से एक घंटे तक का समय लगता है।'

डॉ. नीरज गुप्ता बताते हैं, 'मोबाइल, कपड़ा, मास्क और रूमाल वो वस्तुएं हैं, जिनपर खांसते वक्त वायरस आकर बैठ जाता है। मोबाइल फोन के अलावा चश्मा, चाबी आदि पर भी वायरस हो सकता है। इसलिए अगर मास्क लगाए रहेंगे तो इन चीजों को छूने के बाद भी मुंह पर हाथ नहीं जाएगा। बेहतर है ऐसी किसी भी चीज को छूने के बाद हाथ धोएं। मास्क समय-समय पर बदलते रहें और इन वस्तुओं को सैनिटाइज करते रहें।'
इस बारे में डॉ. नीरज गुप्ता कहते हैं, 'अगर डायबिटीज वाले मरीजों की शुगर कंट्रोल में है और कोई अन्य बीमारी नहीं है, तो आईसीएमआर के गाइडलाइंस के अनुसार ऐसे लोग प्लाज्मा दे सकते हैं। लेकिन अगर दवा चल रही है और डायबिटीज कंट्रोल में नहीं है तो नहीं दे सकते हैं।'




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