सुषमा स्‍वराज के साथ ही दिल्‍ली ने एक साल के भीतर अपने 3 पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को खोया

नई दिल्‍ली: सुषमा स्‍वराज का मंगलवार रात को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उनके निधन के साथ ही दिल्‍ली ने एक साल के भीतर अपने तीन पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को खो दिया. सुषमा स्‍वराज अक्‍टूबर-दिसंबर, 1998 के दौरान संक्षिप्‍त अवधि के लिए दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री रहीं. इसी तरह लगातार तीन बार मुख्‍यमंत्री रहीं और वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता शीला दीक्षित का जुलाई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.
सुषमा स्‍वराज और शीला दीक्षित का निधन एक महीने के भीतर हुआ. भाजपा के वरिष्‍ठ नेता मदनलाल खुराना 1993-96 के दौरान दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री रहे. उनका निधन पिछले साल अक्‍टूबर में हुआ.
दिल्ली से चुनी गईं पहली बार लोकसभा सांसद
सुषमा पहली बार दिल्ली के रास्ते लोकसभा पहुंची थीं. पार्टी ने उन्हें 1996 के लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को पराजित किया था. उन्हें 13 दिनों की वाजपेयी सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री बनाया गया था. उसके बाद मार्च 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर से उन्हें दक्षिणी दिल्ली सीट से मैदान में उतारा. वह कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को हराकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचीं और उन्हें एक बार फिर से सूचना व प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके साथ ही उन्हें दूरसंचार विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. इसी साल उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया गया.
नई दिल्‍ली: सुषमा स्‍वराज का मंगलवार रात को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उनके निधन के साथ ही दिल्‍ली ने एक साल के भीतर अपने तीन पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को खो दिया. सुषमा स्‍वराज अक्‍टूबर-दिसंबर, 1998 के दौरान संक्षिप्‍त अवधि के लिए दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री रहीं. इसी तरह लगातार तीन बार मुख्‍यमंत्री रहीं और वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता शीला दीक्षित का जुलाई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.
सुषमा स्‍वराज और शीला दीक्षित का निधन एक महीने के भीतर हुआ. भाजपा के वरिष्‍ठ नेता मदनलाल खुराना 1993-96 के दौरान दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री रहे. उनका निधन पिछले साल अक्‍टूबर में हुआ.
दिल्ली से चुनी गईं पहली बार लोकसभा सांसद
सुषमा पहली बार दिल्ली के रास्ते लोकसभा पहुंची थीं. पार्टी ने उन्हें 1996 के लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को पराजित किया था. उन्हें 13 दिनों की वाजपेयी सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री बनाया गया था. उसके बाद मार्च 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर से उन्हें दक्षिणी दिल्ली सीट से मैदान में उतारा. वह कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को हराकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचीं और उन्हें एक बार फिर से सूचना व प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. इसके साथ ही उन्हें दूरसंचार विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. इसी साल उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया गया.

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