कांग्रेस सरकार का संकल्प....‘मिलावट मुक्त-मध्यप्रदेश’

स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट, मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा और उपाध्यक्ष अभय दुवे ने संयुक्त पत्राकार वार्ता में कहा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश के नागरिकों के जीवन से जुडे़ एक संवेदनशील विषय पर दृढ़ता से कदम बढ़ाते हुए एक ओर संकल्प ले रहा है, वह है ‘मिलावट मुक्त-मध्यप्रदेश’ का।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने क्रूर लापरवाही करते हुए मिलावट खोरों के आगे घुटने टेक दिये थे तथा मध्यप्रदेश के नागरिकों की जिंदगी को दॉव पर लगा दिया था।
तत्कालीन कांग्रेसनीत यूपीए सरकार जब खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम मिलावटखोरी के खिलाफ लेकर आयी थी तो मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने 2012 में इसका जमकर विरोध किया था और मिलावटखोरों के समर्थन में खड़ी हो गयी थी। आज यही कानूनी अधिकार प्रदेश के नागरिकों की खाद्य संरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है।
आज समूचे प्रदेश के लगभग हर जिले में दूध और उसके उत्पाद में मिलावट करने वालों के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इस बात की कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि बीते कई वर्षों से मध्यप्रदेश में मिलावटखोरी का कारोबार प्रदेश की विगत भाजपा सरकार की सरपरस्ती में फलने-फूलने दिया गया था। हाल ही में विभिन्न जिलों में की गई छापेमारी में दूध और उसके उत्पादों में कई घातक कैमिकल्स जप्त किये गये हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन के लिए घातक हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के स्पष्ट निर्देशों के बाद बीते दिनों एस.आर. मोहंती, मुख्य सचिव, मप्र शासन की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के सभी जिलाधीशों को यह स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये तथा यह अभियान निरंतर जारी रखा जाये। जल्द ही सरकार फल को कैमिकल से पकाये जाने वालों के खिलाफ भी कड़ा और बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है और जल्द ही जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर में खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है।
वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत सरकार को एक एडवाइजरी जारी की है कि अगर दूध और दूध से बने उत्पादों में मिलावटखोरी को तुरंत नहीं रोका गया तो भारत को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। और वर्ष 2025 तक भारत के 87 प्रतिशत लोग केंसर जैसी गंभीर बीमारी की ज़द में आ जायेंगे।
मध्यप्रदेश देश का वह पहला राज्य बनने जा रहा है, जिसने मिलावट मुक्त मध्यप्रदेश का संकल्प लिया है। हम, सर्वोच्च अदालत के दिशा-निर्देशों के पालन के लिये प्रतिबद्ध हैं और मिलावटखोरों के खिलाफ आजन्म कारावास का प्रावधान करेंगे। प्रदेश के नागरिकों से आग्रह है कि खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम में सभी नागरिकों को धारा-40 के तहत यह अधिकार दिया गया है कि वह भी स्वयं खाद्य पदार्थोंं का विश्लेषण करा सकता है। अतः समूचा मध्यप्रदेश, प्रदेश को मिलावटखोरी के दंश से मुक्त कराने के लिए सरकार के इस कदम में सहभागी बने।

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