1. मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddi) का जन्म 1886 में तमिलनाडू में हुआ था. मुथुलक्ष्मी को भी बचपन से ही पढ़ने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. मुथु के पिता एस नारायण स्वामी चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे.
2. जिस दौर में मुथुलक्ष्मी रेड्डी बड़ी हो रही थीं, उस समय बाल विवाह का चलन बहुत आम था. लेकिन मुथुलक्ष्मी ने इसका विरोध किया और अपने माता-पिता को उन्हें शिक्षित करने के लिए राजी किया.
3. मुथुलक्ष्मी की मां चंद्रामाई ने समाज के तानों के बावजूद उन्हें पढ़ने के लिए भेजा. जिस समय भारत पर अंग्रेज़ों का राज था उस समय वह सरकारी अस्पताल में सर्जन के तौर पर काम करने वाली पहली महिला बनीं थी.
4. मुथुलक्ष्मी (Muthulakshmi) ने तमिलनाडू के महाराजा कॉलेज में पढ़ाई की, उस समय तक वह कॉलेज सिर्फ़ लड़कों के लिए ही था. इतना ही नहीं मद्रास मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाली पहली महिला छात्रा बनीं.
. अपनी मेडिकल ट्रेनिंग के दौरान एक बार मुथुलक्ष्मी को कांग्रेस नेता और स्वतन्त्रता सेनानी सरोजिनी नायडू से मिलने का मौका मिला. बस यहीं से उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और देश की आजादी के लिए लड़ने की कसम खा ली. यहां तक कि उन्हें इंग्लैंड जाकर आगे पढ़ने का मौका भी मिला लेकिन उन्होंने इसे छोड़कर वूमेंस इंडियन असोसिएशन के लिए काम करना ज्यादा जरूरी समझा.
6. मुथुलक्ष्मी को साल 1927 में मद्रास लेजिस्लेटिव काउंसिल से देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव भी हासिल हुआ. उन्हें समाज के लिए किए गए अपने कामों के लिए काउंसिल में जगह दी गई थी.
7. उस समय बाल विवाह प्रचलित था. मुथुलक्ष्मी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और मद्रास विधानसभा में काम करते हुए शादी के लिए तय उम्र को बढ़ाने की मांग की.
8. साल 1956 में डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी को उनकी सेवा और काम के लिए भारत सरकार ने पद्मभूषण से नवाज़ा था.
9. साल 1968 में 81 वर्ष की आयु में डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी का निधन हो गया था.
10. तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह हर साल 30 जुलाई को 'हॉस्पिटल डे' के तौर पर मनाएगी