थोड़ी देर बाद राहुल को कांग्रेस की मिलेगी कमान, AICC पर बंटे लड्डू

देश की सबसे पुरानी पार्टी की कमान आज राहुल गांधी के हाथों में सौंप दी जाएगी। इस मौके पर अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय के बाहर सुबह से ही समर्थकों का भारी जमावड़ा है। लोग पोस्टर और बैनरों के साथ वहां पर पटाखे छोड़कर खुशियां मना रहे हैं और राहुल के समर्थन में नारे लगा रहे हैं।  इस मौके पर कांग्रेस मुख्यालय के आस पास का पूरा क्षेत्र राहुल गांधी के पोस्टरों  और होर्डिंग से भरा हुआ देखा जा सकता है। तस्वीर में यह देखा जा सकता है कि समर्थकों के लिए यहां पर लड्डू मंगवाया गया है और वे नाच गाने के साथ इस पल को सेलिब्रेट कर रहे हैं।
भारी संख्या में जुटे समर्थक

कांग्रेस मुख्यालय पर आज सुबह से लोगों का जमावड़ा होना शुरू हो चुका है। समर्थक गाजे बाजे और पोस्टर-बैनर के साथ पार्टी दफ्तर पहुंचे हैं। पार्टी मुख्यालय के पास सुरक्षा भी बढाई गई है। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। 
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने की खुशी में पूरे देश से समर्थक दिल्ली पहुंचे हैं। समर्थकों के बैनर और पोस्टर में राहुल गांधी के लिए नारे लिखे गए हैं।
कुछ समर्थकों के पोस्टर में राहुल नहीं ये आंधी है दूसरा महात्मा गांधी है। 
निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए राहुल गांधी

बीते सोमवार को उन्हें निर्विरोध रूप से पार्टी अध्यक्ष चुना गया था। वहीं सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से रिटायर हो रही हैं। सोनिया गांधी ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा था, ‘मेरी भूमिका अब रिटायर होने की है।’ जिसके बादे ये कयास लगाए जा रहे थे कि सोनिया राजनीति से ही रिटायर हो रही हैं। जिसके बाद राजनीति से रिटायर होने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष पद से रिटायर हो रही हैं। 
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सोनिया गांधी ने अपना दायित्व राहुल गांधी को सौंपा है, लेकिन वह सदैव पार्टी का मार्गदर्शन करती रहेंगी। सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘मीडिया के मित्रों से अनुरोध है कि वे अटकलों पर ध्यान नहीं दें। सोनिया गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुई हैं, राजनीति से नहीं। उनका आशीर्वाद, बुद्धिमत्ता एवं कांग्रेस की विचारधारा के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता सदैव हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगी।’ 
कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य रेणुका चौधरी ने भी कहा, मैं यह मानना पसंद करूंगी कि हमारी पार्टी नेता इस पुरानी पार्टी को सही दिशा में चलाने के लिए सदा बनी रहेंगी। उनकी प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहीं है। बता दें कि सोनिया गांधी सियासत से दूर रहना चाहती थीं। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पार्टी संभालने के आग्रह को ठुकरा दिया था। 1997 में अंदरूनी कलह से पार्टी को बचाने के लिए वह सियासत में आने को राजी हुईं। सोनिया 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं और 19 साल तक पार्टी अध्यक्ष के तौर पर काम किया।

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