4 दिन से कभी बयान तो कभी जांच, पुलिस का रवैया टाॅर्चर जैसा: भोपाल रेप विक्टिम

भोपाल.मध्य प्रदेश की राजधानी में 19 साल की स्टूडेंट के साथ हुई गैंगरेप की घटना को 5 दिन बीत चुके हैं। पर विक्टिम अब भी माता-पिता के साथ थानों के चक्कर काट रही है। उसे इंसाफ की उम्मीद तो है, लेकिन पुलिस सिस्टम पर नाराजगी भी। रेप का चौथा आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। विक्टिम ने  कहा, "चार दिन हो गए, मैं पेरेंट्स के साथ भटक रही हूं। कभी बयान के लिए थाने तो कभी जांच के लिए हॉस्पिटल। पहले दिन एफआईआर दर्ज कराने के लिए भटकते रहे, दूसरे दिन पुलिस ने बयान दर्ज कराने के लिए दिनभर थाने में बिठाकर रखा था।" बता दें कि 31 अक्टूबर को हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास लड़की से गैंगरेप हुआ था। तब वह सिविल सर्विसेस की कोचिंग क्लास से लौट रही थी। इतने सवालों के जवाब देते थक गई हूं...
- विक्टिम ने कहा, "मुझे तीसरे दिन मेडिकल और चौथे दिन सोनोग्राफी के लिए बुलाया गया। वही सवाल और वही जगह मेरे सामने बार-बार आ रही हैं। ‘क्या हुआ था? कहां हुआ था? कितने लोग थे? कैसे दिखते थे? क्या बोल रहे थे?' सवाल इतने कि जवाब देते-देते गले से आवाज निकलना बंद हो जाती, लेकिन उनके सवाल खत्म नहीं होते। सिस्टम और पुलिस के खिलाफ अफसोस नहीं, बल्कि गुस्सा है।''
- "हादसे के दिन जीआरपी एसपी अनिता मालवीय महिला होते हुए भी मजे लेती रहीं। वह मेरी कहानी सुनकर हंसती हैं, तो इंसाफ की उम्मीद कहां रह जाती है। पोस्ट पर तो छोड़ो वे पुलिस की वर्दी पहनने लायक तक नहीं हैं। मेरी इस लड़ाई में मेरे माता-पिता हर दम मेरे साथ हैं। उन्होंने मुझे संभाला और आरोपियों के खिलाफ लड़ने की हिम्मत दी।''
ऐसी घटनाओं में सभी माता-पिता सपोर्ट करें
- लड़की ने आगे कहा, ''उन दरिंदों के साथ रहम नहीं होना चाहिए। मैं गिड़गिड़ा रही थी। वे हंस रहे थे। सभी दरिंदों को बीच चौराहे पर फांसी दे देनी चाहिए। मेरी एक ही अपील है कि इस तरह की वारदात के बाद परिजनों को विक्टिम का साथ देते हुए आवाज उठाना चाहिए। मेरे पेरेंट्स दोनों पुलिस में हैं। अगर हमारे साथ ऐसा हुआ, तो सोचिए बाकी लोगों का क्या होता होगा।"
- "जब एफआईआर दर्ज कराने गए तो हबीबगंज पुलिस ने हमारी थोड़ी मदद की, लेकिन एमपी नगर और जीआरपी पुलिस ने कोई मदद नहीं की। जब हम आरोपी को पकड़ने गए तो बस्ती के लोगों ने हम पर अटैक कर दिया था, लेकिन पापा ने उस आरोपी को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया।"
भोपाल आईजी समेत 10 आईपीएस बदले
- गैंगरेप के 4 दिन बाद शिवराज सरकार ने भोपाल रेंज के आईजी योगेश चौधरी और जीआरपी, एसपी अनिता मालवीय को हटा दिया। इसी के साथ रविवार को छुट्टी के दिन सरकार ने 10 आईपीएस अफसरों को इधर से उधर कर दिया।
- चौधरी करीब चार साल (फरवरी 2014 से अभी तक) भोपाल के आईजी रहे। जिस घटना को आधार बनाकर यह कार्रवाई की गई है, उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि भोपाल से हटाकर चौधरी को प्रदेश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब वे पुलिस हेडक्वार्टर में आईजी लॉ एंड ऑर्डर बनाए गए हैं।
क्या है भोपाल गैंगरेप केस?
- घटना 31 अक्टूबर शाम की है। कोचिंग सेंटर से लौट रही 19 साल की लड़की को चार बदमाशों ने स्टेशन के पास रोका। उसके साथ झाड़ियों में ले जाकर गैंगरेप किया। घटना स्थल से आरपीएफ चौकी (रेलवे पुलिस फोर्स) सिर्फ 100 मीटर दूर है। 
- आरोपियों ने विक्टिम का मोबाइल फोन और कुछ जूलरी भी लूटी। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों को लगा कि लड़की की मौत हो गई है तो वो उसे छोड़कर भाग गए। होश आने पर विक्टिम आरपीएफ थाने पहुंची। वहां से उसने पिता को घटना के बारे में जानकारी दी। उसके पिता आरपीएफ में ही हैं।
- पुलिस कार्रवाई में लापरवाही बरतने पर तीन थानों के प्रभारी, दो सब इंस्पेक्टर सस्पेंड हो चुके हैं। भोपाल के एक सीएसपी, जीआरपी एसपी और भोपाल आईजी को हटाया गया।
3 आरोपी गिरफ्तार, एक फरार
- गोलू उर्फ बिहारी (25), अमर उर्फ गुल्टू (25) और राजेश उर्फ चेतराम (50) को गिरफ्तार कर लिया गया है। चौथा आरोपी रमेश उर्फ राजू फरार है।

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