हिमाचल: 10 दिग्गजों के लिए साख का सवाल, हारे तो सियासी पारी खत्म

शिमला. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव कांग्रेस-बीजेपी के कई दिग्ग्जों के लिए आखिरी चुनाव साबित हो सकता है। इतना ही नहीं ये चुनाव कई नेताओं की लंबी राजनीतिक पारियों के बाद सम्मान के साथ उनकी राजनीति से विदाई का फैसला भी कर सकता है। इस चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी दोनों के ही 10 बड़े दिग्गज पार्टी के साथ निजी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। इनमें कुछ वापस लौटे पुराने नेता भी हैं। 6 बार हिमाचल के सीएम बन चुके वीरभद्र सिंह कांग्रेस की ओर से 7वीं बार सीएम पद के उम्मीदवार बनाए गए हैं। बता दें कि हिमाचल में 9 नवंबर को वोटिंग होनी है और नतीजे 18 दिसंबर को सामने आएंगे।
वीरभद्र समेत कौन हैं ये 10 दिग्गज
1. वीरभद्र सिंह (83)
- 83 साल के वीरभद्र सिंह आठ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। जुब्बल-कोटखाई, रामपुर, रोहड़ू और शिमला ग्रामीण से विधानसभा चुनाव लड़ चुके वीरभद्र ने इस बार अपनी सीट फिर बदल ली है। इस बार वे अर्की से चुनाव लड़ेंगे। इस बार उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। हो सकता है कि ये उनका ये आखिरी चुनाव हो। 1990 में वे एक बार जुब्बल-कोटखाई से चुनाव हार चुके हैं।
2. प्रेम कुमार धूमल (73)
- 2 बार हिमाचल के सीएम रह चुके प्रो. प्रेम कुमार धूमल इस बार सुजानपुर विधानसभा सीट से मैदान में हैं। ये 2012 में हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से लड़े थे। इससे पहले वे बमसन सीट से लड़ते थे। धूमल नेता प्रतिपक्ष हैं। इस बार पार्टी हाईकमान ने इनका विधानसभा क्षेत्र बदला है। ऐसे में सभी की नजरें इन पर हैं।

3. गंगू राम मुसाफिर (72)
- पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे गंगूराम मुसाफिर 72 साल के हैं। 2012 के विस चुनावों में पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1982 के बाद लगातार 6 चुनाव जीता। इस बार वे चुनाव हारते हैं, तो उनका राजनीतिक करियर दांव पर लग सकता है।
4. गुलाब सिंह ठाकुर (69) 
- जोगेंद्र नगर सीट से गुलाब सिंह ठाकुर 2 विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं। एक चुनाव आजाद एक जेएनपी के टिकट पर लड़े। 1985 में हार मिली। इसके बाद लगातार जीते। इस बार बीजेपी हाईकमान ने इन्हें जोगेंद्र नगर से टिकट दिया है।
5. सुजान सिंह पठानिया (75)
- फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे सुजान सिंह पठानिया 7 चुनाव लड़ चुके हैं। तीन बार हारे। 2007 में चुनाव हारे, उसके बाद उप चुनाव में दोबारा जीते। 2012, 2003, 1993, 1990 में चुनाव जीता। इस बार टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति थी। कई युवा नेताओं ने एप्लिकेशन दिया था। पार्टी ने इन्हें उतारा।
6. विप्लव ठाकुर (74)
- 74 साल की विप्लव ठाकुर को कांग्रेस पार्टी ने देहरा विधानसभा सीट से उतारा है। ये राज्य सभा सांसद थीं। पूर्व में वे जस्वां से चुनाव लड़ती थीं। 2003, 1990 में हारीं। 1998, 1985, 1993 में जीतीं। पहले इनके भाई इस सीट से चुनाव लड़ते थे।
7. कौल सिंह ठाकुर (72)
- कौल सिंह ठाकुर 1977 में पहला चुनाव जेएनपी से लड़े थे। 1982 में कांग्रेस में ज्वाइन की। नौ बार विधानसभा चुनाव लड़ा। 1990 में हार मिली। उसके बाद ये लगातार जीते। इस बार कंग्रेस के ही बागी चुनावी मैदान में है। ऐसे में इनके सामने चुनाव जीतना बड़ी चुनौती होगा।
8. कुलदीप पठानिया (54)
- हमीरपुर विधानसभा सीट से उतरे कुलदीप पठानिया ने 1993 में एक चुनाव जीता है। वे बमसन से धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार हमीरपुर से चुनावी मैदान में उतारा है। इनका पॉलिटिकल करियर इस बार के चुनाव में हार जीत पर निर्भर करता है।
9. मनसा राम (76) 
- मनसा राम पुराने राजनीतिज्ञों में से हैं। आजाद प्रत्याशी के तौर पर 1967 में लड़े और जीते। 1972 में कांग्रेस से लड़े और जीते। 1977 में आजाद प्रत्याशी के तौर पर हारे। 1998 में हिविकां से चुनाव लड़कर जीता। 2007 में बीजेपी के टिकट पर लड़े, पर हारे। 2012 में फिर से कांग्रेस से चुनाव लड़कर जीते।
10. महेंद्र सिंह (67)
- धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे महेंद्र सिंह ठाकुर 67 साल के हैं। ये ऐसे उम्मीदवार हैं जो कई चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ चुके हैं। 1990 में इन्होंने चुनाव आजाद प्रत्याशी के तौर पर लड़ा। इसके बाद 1993 में पंडित सुखराम इन्हें कांग्रेस में लाए। कांग्रेस के टिकट पर इन्होंने दूसरी बार चुनाव जीता। 1998 में जब पंडित सुख राम ने हिविकां बनाई तो महेंद्र सिंह ने तीसरा चुनाव हिविकां की ओर से लड़ा और जीता। 2003 में महेंद्र सिंह ने हिम लोकतांत्रिक मोर्चा की ओर से चुनाव लड़ा और वह भी जीता। 2007 और 2012 में इन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की। ये लगातार धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से 6 चुनाव जीत चुके हैं। इस बार भी इनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। ये एक बार भी चुनाव नहीं हारे हैं

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