बप्पा के दर्शन करते वक्त रखें ध्यान, कहीं दरिद्रता न ले आएं अपने साथ

गणेश उत्सव का आगमन होने के साथ चारों ओर से गणपति बप्पा मोरया की मधुर ध्वनि सुनाई देने लगती है। 10 दिवसीय गणेश स्थापना काल में गणेश जी के पूजन का विशेष महत्व है। गणेश जी सभी विघ्नों को हरने वाले और रिद्धि-सिद्धि के दाता माने जाते हैं। हमारे जीवन में उपस्थित होने वाली बाधाएं और विघ्नों को रोकने के लिए गणेश जी की उपासना की जाती है ताकि मन संयमित रहे और किसी अनिष्ट कार्य का आचरण न हो।

गणपति जी के कानों में वैदिक ज्ञान, सूंड में धर्म, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, पेट में सुख-समृद्धि, नेत्रों में लक्ष्य, नाभि में ब्रह्मांड, चरणों में सप्तलोक और मस्तक में ब्रह्मलोक होता है। जो जातक शुद्ध तन और मन से उनके इन अंगों के दर्शन करता है उसकी विद्या, धन, संतान और स्वास्थ्य से संबंधित सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटों से छुटकारा मिलता है।

जब भी बप्पा का दर्शन करें तो उनके मुख और अग्र भाग का दर्शन करें। शास्त्रों के अनुसार गणपति बप्पा की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। मान्यता है की उनकी पीठ में दरिद्रता का निवास होता है, इसलिए पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। अनजाने में पीठ के दर्शन हो जाएं तो पुन: मुख के दर्शन कर लेने से यह दोष समाप्त हो जाता है। 

रखें ध्यान
गणेश जी को स्थापित करते वक्त उनका मुंह दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ रखें। 

घर में सिंदूरी रंग के गणपति की स्थापना शुभता लेकर आती है।

घर में बप्पा की बैठी मुद्रा और कार्य स्थान पर खड़े बप्पा का स्वरूप स्थापित करें।

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