बीजेपी ने संघ परिवार के करीबी वेंकैया नायडू को एनडीए का उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। इसकी अटकलें लंबे समय से थीं कि पार्टी उप राष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू का नाम आगे कर सकती है। सोमवार को ये अटकलें सही साबित हुईं। लेकिन नायडू ही क्यों? यह ऐसा सवाल है, जो कइयों के मन में उठ रहा होगा। नायडू को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार यूं ही नहीं बनाया गया है, उन्होंने खुद की क्षमता को कई मौकों पर साबित भी किया है।
आंध्र प्रदेश से आने वाले नायडू ने 1967 में बतौर युवा छात्र नेता एबीवीपी जॉइन किया और कम समय में ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की कुर्सी तक पहुंच गए। 1973 में उन्होंने जन संघ जॉइन किया। नायडू बताते हैं कि किस तरह वह तत्कालीन जनसंघ नेता जगन्नाथराव जोशी और बाल आप्टे से बेहद प्रभावित थे।
नायडू जब दिल्ली आए तो एलके आडवाणी की नज़र उन पर पड़ी। धीरे-धीरे वह टीम आडवाणी का एक अहम हिस्सा बन गए। नायडू के मीडिया से भी बेहद अच्छे संबंध रहे। पत्रकारों में उनकी अच्छी पैठ है। दिल्ली आने के शुरुआती दिनों में उनकी कोशिश रहती थी कि भले ही मीडिया में पार्टी को लेकर कोई नकारात्मक वक्तव्य ही छपे, मगर कहीं ना कहीं पार्टी चर्चा में जरूर रहनी चाहिए।
आंध्र प्रदेश से आने वाले नायडू ने 1967 में बतौर युवा छात्र नेता एबीवीपी जॉइन किया और कम समय में ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की कुर्सी तक पहुंच गए। 1973 में उन्होंने जन संघ जॉइन किया। नायडू बताते हैं कि किस तरह वह तत्कालीन जनसंघ नेता जगन्नाथराव जोशी और बाल आप्टे से बेहद प्रभावित थे।
नायडू जब दिल्ली आए तो एलके आडवाणी की नज़र उन पर पड़ी। धीरे-धीरे वह टीम आडवाणी का एक अहम हिस्सा बन गए। नायडू के मीडिया से भी बेहद अच्छे संबंध रहे। पत्रकारों में उनकी अच्छी पैठ है। दिल्ली आने के शुरुआती दिनों में उनकी कोशिश रहती थी कि भले ही मीडिया में पार्टी को लेकर कोई नकारात्मक वक्तव्य ही छपे, मगर कहीं ना कहीं पार्टी चर्चा में जरूर रहनी चाहिए।
टीम आडवाणी में सुषमा, जेटली, अनंत कुमार और प्रमोद महाजन जैसे नेताओं के साथ नायडू का भी कद बढ़ता गया और धीरे-धीरे वह राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन गए। नायडू ने इस वक्त तक भले ही दो विधानसभा चुनाव जीत लिए थे, मगर उनकी जमीनी स्तर पर पकड़ उतनी मजबूत नहीं थी।
एक वक्त तक आडवाणी के विश्वासपात्र रहे नायडू मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के समय आडवाणी के विरोधी खेमे में भी दिखाई दिए। मोदी की पीएम पद की दावेदारी के वक्त पार्टी के अंदर समर्थकों में से एक प्रमुख चेहरा वह भी थे।
नायडू को सरकार के संकटमोचक के तौर पर भी जाना जाता है। कई बड़े मुद्दों पर उन्होंने संसद में विपक्ष पर मजाकिया अंदाज में तंज कसे। जब विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ, तो कई दफा नायडू ने आगे आकर विपक्ष को अपने तीखे और कभी-कभी मजाकिया लहजे से शांत कराने का काम किया।
अगर नायडू उप राष्ट्रपति बनते हैं, तो 10 साल बाद किसी राजनीतिक शख्सियत की इस पद पर वापसी होगी। बतौर उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के तौर पर उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी।
एक वक्त तक आडवाणी के विश्वासपात्र रहे नायडू मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के समय आडवाणी के विरोधी खेमे में भी दिखाई दिए। मोदी की पीएम पद की दावेदारी के वक्त पार्टी के अंदर समर्थकों में से एक प्रमुख चेहरा वह भी थे।
नायडू को सरकार के संकटमोचक के तौर पर भी जाना जाता है। कई बड़े मुद्दों पर उन्होंने संसद में विपक्ष पर मजाकिया अंदाज में तंज कसे। जब विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ, तो कई दफा नायडू ने आगे आकर विपक्ष को अपने तीखे और कभी-कभी मजाकिया लहजे से शांत कराने का काम किया।
अगर नायडू उप राष्ट्रपति बनते हैं, तो 10 साल बाद किसी राजनीतिक शख्सियत की इस पद पर वापसी होगी। बतौर उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के तौर पर उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी।
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