नकली डॉक्टर का भंडाफोड़: जन स्वास्थ्य रक्षक चला रहा था अवैध क्लिनिक, भारी मात्रा में एलोपैथिक दवाएं जब्त

 


जबलपुर। स्वास्थ्य के नाम पर धोखाधड़ी का एक गंभीर मामला जबलपुर के रिछाई रांझी क्षेत्र से सामने आया है। यहां एक जन स्वास्थ्य रक्षक दशरथ कुमार बैरागी खुद को डॉक्टर बताकर लंबे समय से क्लिनिक चला रहा था और मरीजों का इलाज कर रहा था। जिला प्रशासन की दबिश में इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है। छापेमारी के दौरान क्लिनिक से भारी मात्रा में अवैध एलोपैथिक दवाएं बरामद हुई हैं।

जांच में न तो क्लिनिक का कोई पंजीयन दस्तावेज मिला और न ही दवाओं के लिए जरूरी ड्रग लाइसेंस। औषधि प्रशासन विभाग ने मौके पर मौजूद दवाओं को जब्त कर क्लिनिक को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया है।

जन स्वास्थ्य रक्षक से ‘डॉक्टर’ बनने का सफर

दशरथ कुमार बैरागी (50) को वर्ष 2001 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण सेवा के लिए जन स्वास्थ्य रक्षक के रूप में प्रशिक्षण दिया गया था। शुरुआती वर्षों में वह ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में घाव साफ करना, पट्टी बांधना और डॉक्टर व नर्सों की सहायता जैसे कार्यों में लगा रहा। लेकिन बाद में उसने स्वयं को डॉक्टर घोषित कर निजी क्लिनिक खोल लिया और इलाज का कारोबार शुरू कर दिया।

प्राथमिक जांच में सामने आया कि वह न केवल दवाएं देता था, बल्कि मरीजों को इंजेक्शन तक लगा रहा था—जो स्पष्ट रूप से कानूनन प्रतिबंधित और खतरनाक गतिविधि है।

कलेक्टर व सीएमएचओ को मिली शिकायत

दशरथ कुमार द्वारा इलाज किए जाने की शिकायत जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजय मिश्रा को मिली थी। इसके बाद कार्रवाई करते हुए खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने औषधि निरीक्षक शरद जैन और डीआई प्रवीण कुमार पटेल के नेतृत्व में रिछाई रांझी स्थित क्लिनिक पर छापा मारा।

टीम के पहुंचने पर आरोपी मरीजों को दवाएं देते हुए पकड़ा गया। पूछताछ में वह कोई वैध दस्तावेज या लाइसेंस नहीं दिखा सका।

दवाएं जब्त, जांच के लिए भेजीं गईं

टीम ने मौके से भारी मात्रा में एलोपैथिक दवाएं जब्त की हैं, जिन्हें कोर्ट की निगरानी में सुरक्षित रखा गया है। सभी दवाओं को परीक्षण के लिए राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, भोपाल भेजा जा रहा है।

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