मंडी में पांच लाख का 'कल्लू' बकरा बना आकर्षण का केंद्र, धार्मिक अक्षरों ने बनाया खास



वाराणसी।बकरीद की आहट के साथ देशभर की मंडियों में हलचल तेज है, लेकिन वाराणसी की बेनियाबाग बकरा मंडी इन दिनों एक अनोखे बकरे ‘कल्लू’ की वजह से सुर्खियों में है। कीमत है पूरे 5 लाख रुपये, और वजह है इसकी शारीरिक विशेषता, जिसे कई लोग धार्मिक चमत्कार से भी जोड़ रहे हैं।

फतेहपुर के किसान रामशंकर यादव द्वारा पाला गया यह डेढ़ साल का बकरा मंडी में सेलिब्रिटी बन गया है। न सिर्फ खरीददार, बल्कि आम लोग भी इससे मिलने और सेल्फी लेने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं। 'कल्लू' के मालिक का दावा है कि इसके शरीर पर 'अल्लाह' और 'मोहम्मद' जैसे पवित्र शब्द जन्मजात रूप से उकेरे गए हैं, जिसे पहली बार एक मौलवी ने बचपन में ही पहचाना था।
धार्मिक मान्यता और भावनाओं का जुड़ाव

रामशंकर बताते हैं कि जब मौलवी साहब ने इसे देखा तो कहा कि यह कोई सामान्य बकरा नहीं है। तभी से उन्होंने 'कल्लू' को परिवार के सदस्य की तरह पाला। बकरे के साथ गहरा भावनात्मक रिश्ता भी है — यह उनके साथ ही सोता है और इसे दूध, मक्खन और चना जैसी खास डाइट दी जाती है।

मंडी में आने वाले कई मौलवी भी इन शब्दों की पुष्टि कर चुके हैं, जिससे इसकी धार्मिक मान्यता को बल मिला है। यही वजह है कि लोग इस बकरे को केवल पशु के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक श्रद्धा के रूप में देख रहे हैं।
शारीरिक बनावट और नस्ल भी विशेष

'कल्लू' केवल धार्मिक पहचान की वजह से ही नहीं, बल्कि अपनी नस्ल और ताकत की वजह से भी खास है। यह पकीरा नस्ल का बकरा है, जो अपनी मजबूत कद-काठी के लिए जाना जाता है। इसका वजन 100 किलो से अधिक है और मालिक के अनुसार इसकी सेहत की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
क्या वाकई 5 लाख का बकरा?

कई लोग इस कीमत को लेकर संशय में हैं और इसे बकरीद के मौके पर मुनाफाखोरी की रणनीति भी मान रहे हैं। लेकिन मंडी में मौजूद जानकारों और धार्मिक वर्ग के कुछ प्रतिनिधियों का कहना है कि कल्लू की विशेषता, आकार और धार्मिक पहचान को देखते हुए यह मूल्य चौंकाने वाला जरूर है, पर पूरी तरह अवास्तविक नहीं।

मालिक रामशंकर का साफ कहना है — “मैं इसे उसी को दूंगा जो इसकी कीमत और भावना दोनों को समझे। ये कोई साधारण सौदा नहीं है।”


क्या मंडी से सीधे इतिहास में जाएगा 'कल्लू'?

बकरीद से पहले 'कल्लू' मंडी का चर्चित चेहरा बन गया है। इसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आ रहे हैं। सवाल यह नहीं कि ये बकरा बिकेगा या नहीं, बल्कि यह कि क्या यह धार्मिक श्रद्धा, पशु-प्रेम और व्यापार — तीनों भावनाओं को एक साथ जोड़ने वाला पहला बकरा बन सकता है?

जिस तरह से 'कल्लू' को लेकर चर्चाएं चल रही हैं, यह कहना गलत नहीं होगा कि बकरीद से पहले मंडी का सबसे महंगा नहीं, सबसे खास बकरा यही है।

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