मध्य प्रदेश के भिंड जिले से ‘लाडली बहना योजना’ में भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह योजना भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने और सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई थी। लेकिन अब, इस बहुप्रशंसित योजना में भी गड़बड़ी ने इसे कटघरे में खड़ा कर दिया है। योजना के तहत महिलाओं के खातों में जमा होने वाली राशि पुरुषों के खातों में ट्रांसफर हो रही है, जो कि एक गंभीर अनियमितता है।
महिलाओं के अधिकार पर सेंध: पुरुषों के खातों में जा रहे पैसे
भिंड जिले के फूप कस्बे और सरसई गांव से दो महिलाओं, संतोषी देवी और कंचन देवी, ने आरोप लगाया कि पिछले दो महीनों से उनके खातों में आने वाली ‘लाडली बहना योजना’ की राशि किसी और के खातों में ट्रांसफर हो रही है। पड़ताल में यह खुलासा हुआ कि कंचन देवी की राशि रामकुमार पगारे नामक व्यक्ति के खाते (अकाउंट नंबर: 5702730397) में जा रही है, जबकि संतोषी देवी की राशि भी एक अन्य खाते (अकाउंट नंबर: 5702940258) में जमा हो रही है।
गौरतलब है कि ये दोनों खाते सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि रामकुमार पगारे के इसी खाते में 9 नवंबर को आठ अन्य महिलाओं की योजना की राशि भी ट्रांसफर हुई है।
आधार आधारित भुगतान में कैसे हो रही गड़बड़ी?
‘लाडली बहना योजना’ के तहत हर पात्र महिला को सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में राशि जमा की जाती है। बावजूद इसके, पैसे का गलत खातों में ट्रांसफर होना कई सवाल खड़े करता है।
- तकनीकी खामी या मानवजनित गड़बड़ी? यह जांच का विषय है कि क्या सिस्टम में तकनीकी खामी है या फिर यह एक सुनियोजित साजिश है।
- प्रशासन की चुप्पी: जिला प्रशासन के अधिकारी मामले पर खुलकर बयान देने से बच रहे हैं, हालांकि कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
- कौन जिम्मेदार? यह स्पष्ट नहीं है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है—क्या यह स्थानीय बैंक अधिकारियों की मिलीभगत है, तकनीकी त्रुटि है, या फिर सरकारी तंत्र की लापरवाही।
लाडली बहना योजना पर संकट के बादल
मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना भाजपा की सत्ता में वापसी का एक प्रमुख कारक रही थी। इस योजना के तहत पहले महिलाओं को 1,000 रुपये दिए जाते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 1,250 रुपये कर दिया गया। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना था।
हालांकि, हालिया घटनाएं इस योजना की पारदर्शिता और कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। यह घटना न केवल महिलाओं के अधिकारों पर चोट है बल्कि सरकार की योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान है।
प्रशासन की जांच और कार्रवाई की मांग
घटना के उजागर होने के बाद स्थानीय महिलाओं में नाराजगी और चिंता बढ़ गई है। पीड़ित महिलाओं ने जिला प्रशासन से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, प्रशासन की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि महिलाओं के अधिकारों को लेकर अभी भी पर्याप्त संवेदनशीलता की कमी है। यदि इस मामले में दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचारियों के हौसले को और बढ़ावा देगा।