जबलपुर। मध्यप्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल 12 जुलाई से बंद कर दिए जाएंगे। इसका ऐलान निजी स्कूल एसोसिएशन ने किया है। एसोसिएशन का कहना है कि अगर उनकी 8 सूत्रीय मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह विरोध स्वरूप स्कूल बंद करेंगे।
हम एसोसिएशन ऑफ़ अन – एडिड प्राइवेट स्कूल मध्य प्रदेश, सोसायटी ऑफ़ प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स मध्य प्रदेश, अशासकीय शिक्षण संस्था संगठन, बैरागढ़ भोपाल, जबलपुर अन – एडिड स्कूल एसोसिएशन, इंडिपेंडेंट स्कूल एलाइंस इंदौर, ग्वालियर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन समिती, सहोदया गुप्र ऑफ़ सीबीएसई स्कूल, भोपाल, ग्वालियर सहोदया काम्प्लेक्स, ग्वालियर, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन मध्यप्रदेश सभी संस्थायें मिलाकर राज्य में सीबीएसई, आईसीएसई और एमपी बोर्ड से संबद्ध लगभग 20,000 से ज्यादा गैर अनुदान प्राप्त निजी विद्यालयों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
विगत 18 माह से पूरा विश्व कोरोना की महामारी से जुझ रहा है, महामारी की द्वितीय लहर ने हमें इसकी भयावहता से परिचित करवाया है और एक्सपट्र्स की माने तो महामारी की तीसरी लहर आने की भी पूरी संभावना है। इस महामारी से सभी व्यावसयिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, किन्तु स्कूली शिक्षा सबसे अधिक प्रभावित हुई है । कक्षा नौवीं से बारहवीं के विद्यार्थियों को छोड़ कर जिन्होंने 2 – 3 माह स्कूल अटेंड किया है, अन्य सभी विद्यार्थी विगत 16 माह से स्कूल आकर शिक्षा ग्रहण करने से वंचित है । इस से उनके शिक्षण की ही नहीं वरन मानसिक एवं शारीरिक विकास की भी हानि हो रही है।
लॉकडाऊन के समय प्राइवेट स्कूल्ज द्वारा ऑनलाइन शिक्षण को जिस प्रकार सफलतापूवज़्क क्रियान्वित किया गया है वह बच्चों के लिए लाभकारी सिद्ध हुई है किन्तु केवल ऑनलाइन शिक्षण बच्चों के लिए काफी नहीं है ।
इसी तारतम्य में के प्रदेश यशस्वी मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के चलते विद्यालयों को बंद रखने की घोषणा की गई, साथ में यह भी कहा गया की कोई निजी विद्यालय इस सत्र में भी फीस नहीं बढ़ाएंगे, और विद्यार्थियों से केवल शिक्षण शुल्क (ट्यूशन फीस) ही लेंगे। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा ने पूरे प्रदेश के शिक्षकों, विद्यार्थियों, पालकों एवं शिक्षाविदों को हिला कर रख दिया है। सरकार के पक्षपातपूर्ण (सौतेली) रवैये से सभी व्यथित है । अत: आज प्रदेश की सभी प्रमुख प्राइवेट संस्थाओं की एसोसिएशन प्रेस के माध्यम से सरकार के समक्ष 8 सूत्रीय मांगे रख रही ताकि प्रदेश में प्राइवेट शिक्षण संस्थान जीवित रह सके:
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की 8 सूत्रीय मांगे
– कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के चलते स्कूल बंद रखे जाने का बगैर सोचे समझे लिये गया निर्णय तत्काल वापस ले।
-चूँकि शिक्षा हमेशा से सरकार हेतु प्राथमिक विषय रहा है अत:
-प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों हेतु आर्थिक पैकेज घोषित किया जाये, जिसके अन्तर्गत उनके द्वारा लिए गए ऋण पर लगने वाले ब्याज की प्रतिपूर्ति हो सके और वे दिवालिया होने से बच सकें।
-सभी शिक्षण संस्थानों के बिजली बिल उपयोग के अनुसार लेते हुए पुराने बिल समायोजित किये जायें।
-भू व्यपवर्तन कर, संपत्ति कर, स्कूल के वाहनो का रोड टैक्स एवं परमिट शुक्ल वर्ष 20-21 एवं 21 -22 हेतु शून्य किया जावे।
– प्रवेशित विद्यार्थियों के शिक्षण सत्र 20 – 21 तक की बकाया शुक्ल की प्रतिपूर्ति शीघ्र की जावे।
-केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में जारी दिशानिर्देशो के अनुसार कक्षा नौंवी से बारहवीं के स्कूल तुरंत खोले जाए। कक्षा 9 वीं से 12वी की कक्षाओं के सफलतापूर्वक संचालन के अन्य कक्षाएं भी खोली जाए।
-माननीय उच्च एवं उच्चतम न्यायलय के निर्णयानुसार केवल शिक्षण शुल्क (ट्यूशन फीस) ही लेने का आदेश सत्र 20 -21 हेतु था, अत: सत्र 21 -22 में विद्यालयों को शिक्षण शुल्क के साथ साथ अन्य शुल्क जैसे वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क, इत्यादि लेने की अनुमति दी जावे।
– शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत जैसे स्कूल बच्चों की नियमित शिक्षा देने हेतु बाध्य है उसी प्रकार माता-पिता को भी अपने बच्चे की निर्बाध शिक्षण हेतु स्कूल की फीस भुगतान हेतु आदेश जारी होना चाहिए। साथ ही यदि वे जानबूझकर स्कूल फीस के भुगतान में देरी / आनाकानी करते है तो उन्हें विलम्ब शुल्क देने हेतु बाध्य किया जाना चाहिए।
– मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा मार्च में नोटिस जारी किया गया था कि कोई भी स्कूल बिना टीसी के किसी अन्य बच्चे को प्रवेश नहीं देगा परंतु कई निजी एवं सरकारी विद्यालय बिना टीसी के बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं ऐसे स्कूलों पर शिक्षा विभाग को कार्यवाही करनी चाहिए द्य
– राज्य सरकार एवं माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार जो पालक अपने बच्चों का शिक्षण शुक्ल अभी भी जमा नही कर रहे है उन्हें अगली कक्षा में किसी भी सूरत में प्रमोट नहीं किया जाना चाहिए।
– सरकार प्राइवेट स्कूल संचालकों के साथ मिलकर मंथन करे साथ ही निजी स्कूलों के बारे में निर्णय लेते समय निजी स्कूल एसोसिएशन को निणज़्य लेने की प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए। ताकि प्रदेश में विद्यार्थि यों को किसी भी प्रकार की अकादमिक क्षति ना हो ।
