कोरोना महामारी के बीच एंटीबॉडी (Antibodies) शब्द का इस्तेमाल हर जगह पर हो रहा है। इसको लेकर वैज्ञानिक और डॉक्टर सभी लोगों को सलाह दे रहे हैं कि आप अपने प्रतिरक्षा क्षमता को बनाए रखें। कोविड-19 (Covid-19) समेत किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का शरीर में होना बहुत जरूरी होता है। एंटीबॉडी वो होती है जो हमारे शरीर को जिंदा रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कम ज्यादा होना प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी से निपटने के महीनों बाद भी लोगों के शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाएं जिंदा रहती हैं। जो कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती रहती है। हर इंसान के शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। जिसे इम्यून सिस्टम कहते हैं। एंटीबॉडी सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
होती हैं एंटीबॉडी
कह सकते हैं कि एंटीबॉडी एक तरह की खोजी सैन्य दल का काम करती है। जो हमारे शरीर में छुपे हमलावर वायरस को खोजने का काम करती है और उनकी पहचान करती है और साथ ही उन्हें नष्ट भी कर देती है। जिससे हमलावर रोगाणुओं को नष्ट करने की प्रक्रिया एंटीबॉडी के जरिए शुरू होती है। हमारे शरीर के अंदर 5 तरह की एंटीबॉडी होती है। जिन्हें IgG, IgM, IgA, IgD, और IgE कहा जाता है।
कैसे बनती है शरीर में एंटीबॉडी
अब बात करते हैं कि आखिर हमारे शरीर में एंटीबॉडी कैसे बनती है। यह मेमोरी सेल्स एंटीजन की पहचान को याद रखती है। संक्रमण पता लगने के बाद यह कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाने लगती हैं। बीमारी के दौरान एंटीबॉडी तो बढ़ती है वैक्सीन भी किसी खास रोगाणु के लिए एंटीबॉडी बनाने के काम को और तेजी से कर देती है और एंटीबॉडी शरीर में मौजूद वायरस को खत्म करते हैं।
कम ज्यादा होने पर असर
अब बात करते हैं जब हमारे शरीर में एंटीबॉडी कम या ज्यादा होती है। कहते हैं कि एंटीबॉडी का और रोगाणुओं से लड़ने के लिए बढ़ना एक सामान्य और अच्छी क्रिया है। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और उससे हमारा शरीर भी अच्छा रहता है। शरीर में एंटीबॉडी का कम होना मरीज के स्वास्थ्य में सुधार का भी संकेत होता है यानी शरीर को एंटीबॉडी की जरूरत नहीं होती।
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