अमावस्या के दिन जन्म ज्योतिष शास्त्र में क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए कैसा होता है जातकों का भविष्य व स्वभाव


हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि का विशेष महत्व होता है। लेकिन अमावस्या एक मात्र ऐसा दिन है, जिसे ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति के जीवन में खुशियों की कमी रहती है। ऐसे जातकों को जीवन में मुश्किलों का ज्यादा सामना करना पड़ता है। 

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अमावस्या की रात्रि में नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा प्रभावशाली होती हैं। अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले बच्चे के कुंडली में दोष बताया जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य व चंद्रमा एक ही घर में होते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने अमावस्या तिथि पड़ती है। इस दिन चंद्रमा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है। जिसके कारण अमावस्या की रात को कालरात्रि के नाम से भी जानते हैं। 


अमावस्या के दिन जन्मे बच्चे का भविष्य-

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का स्वामी और सूर्य का आत्मा का कारक माना जाता है। अमावस्या के दिन सूर्य व चंद्रमा दोनों ग्रहों का एक साथ कुंडली में प्रवेश करना अशुभ माना जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य व चंद्रमा विराजमान हैं तो उसे मां-बाप से सुख नहीं मिलता है। 

अगर अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले जातक की कुंडली के दसवें भाव में सूर्य व चंद्रमा मौजूद होना इस बात का संकेत देता है कि व्यक्ति शरीर से बलवान और मजबूत होते हैं। ऐसे जातक शत्रु पर विजय हासिल करते हैं। लेकिन जब सूर्य व चंद्रमा अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले जातक की कुंडली के सातवें भाव में होते हैं तो जीवन में कई बार इन्हें अपमानित होना पड़ता है। ऐसे लोगों को धन की कमी नहीं होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर सूर्य व चंद्रमा चौथे भाव में होते हैं तो ऐसे लोग जीवन में भर सुख से वंचित रहते हैं। इन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।


जानिए उपाय-

अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कष्टों को दूर करने के लिए कई उपाय ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं। कहा जाता है कि सूर्य व चंद्रमा का संबंध जिन वस्तुओं से होता है, उन्हें दान करने से लाभ मिलता है। इस तरह के लोगों को हाथ में सफेद रूमाल और सफेद कपड़े पहनने चाहिए।


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