Holi 2021: होली का त्योहार देश के हर छोटे-बड़े शहर, कस्बे और गांव में मनाया जाता है. गुजरात का एक ऐसा गांव भी है, जहां होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. पिछले 200 साल से इस गांव में होली ना मनाने की परंपरा चली आ रही है. गुजरात के बनासकांठा जिले में यह गांव स्थित है. इस गांव के लोग किसी अनहोनी की वजह से होली का त्योहार नहीं मनाते हैं.
ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार ना मनाने के पीछे एक श्राप है जिसकी वजह से होली का नाम सुनते ही इस गांव के लोगों के चेहरे पर मातम पसर जाता है. रामसन नाम के इस गांव का पौराणिक नाम "रामेश्वर" है. बताया जाता है कि भगवान राम ने भी यहां आकर रामेश्वर भगवान की पूजा की थी.
रामेश्वर के नाम पर बना और बसे इस गांव में करीब दस हजार लोग रहते हैं. इस ऐतिहासिक गांव में 207 साल पहले दूसरे गावों की तरह इस गांव में भी होलिका दहन किया जा रहा था, लेकिन अचानक ही गांव में आग लग गई और गांव के कई घर इस आग की चपेट में आकर जल गए.
आखिर अचानक आग क्यों लगी इसके पीछे मान्यता यह है कि उस समय के गांव के राजा ने साधू-संतों को अपमानित किया था और क्रोधित साधुओं ने श्राप दिया था की होली के दिन गांव में आग लग जाएगी. जिसके बाद होली पर्व पर गांव में आग लग गई थी.
उसके बाद कुछ साल बाद फिर से गांव के लोगों ने होलीका का दहन करने की कोशिश की. तो फिर से गांव में आग लग गई. कुछ मकान भी जले ऐसा लगातार तीन बार हुआ. वो भी होली के ही दिन. उसके बाद इस गांव के लोगों ने होलिका दहन करना बंद कर दिया. इसीलिए इस गांव के लोग होली का त्योहार नहीं मनाते.
साधू के श्राप से इस गांव के लोग ऐसे डरे हुए हैं कि अबतक किसी ने इस गांव में होलिका दहन करने की कोशिश नहीं की. गांव के लोग बताते हैं कि गांव में होली के दिन आग लग जाती है इसलिए हम होली नहीं मनाते. हमें दुख है कि हम होली नहीं मना पाते. रामसन गांव के लोग बताते हैं कि जब होली आती है तब गांव के बुजुर्ग लोगों से सुनी तबाही की बात याद आ जाती हैं. इस गांव के कुछ लोग तो ऐसे भी हैं कि वो जानते ही नहीं कि होली का त्योहार क्या होता है.