यहां है दुनिया का एक मात्र अर्धनारीश्वकर शिवलिंग, अपने आप घटती-बढ़ती है इनकी दूरियां

 


देश दुनिया में तमाम मंदिर हिंदू देवी-देवताओं के बने हुए है. जिनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां चमत्कार होते रहते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां भगवान शिव का शिवलिंग अर्धनारीश्रर रूप में स्थित है. साथ ही शिव-पार्वती के रूप में बंटे यहां के शिवलिंग के दोनों भागों के बीच अपने आप दूरियां घटती-बढ़ती रहती हैं.

जी हां हिमाचल प्रदेश में बहुत से प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं. इनमें से कांगड़ा जिले में एक बहुत ही अनोखा शिवलिंग है. जिला कांगड़ा के इंदौरा उपमंडल मुख्यालय से छह किलोमीटर की दूरी पर शिव मंदिर काठगढ़ का विशेष महात्म्य है.यहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुआ है.

मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के मुताबिक इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता बढ़ता रहता है. ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में फिर से एक रूप धारण कर लेता है.

ऐतिहासिक मान्यताओं के मुताबिक काठगढ़ महादेव मंदिर का निर्माण सबसे पहले सिकंदर ने करवाया था. इस शिवलिंग से प्रभावित होकर सिकंदर ने टीले पर मंदिर बनाने के लिए यहां की भूमि को समतल करवा कर यहां मंदिर बनवाया था.

दो भागों में विभाजित शिवलिंग का अंतर ग्रहों और नक्षत्रों के मुताबिक घटता-बढ़ता रहता है और शिवलिंग पर शिवलिंग के दोनों भाग मिल जाते हैं. यहां पर शिवलिंग काले-भूरे रंग का है. शिव रंग में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7-8 फीट है और पार्वती के रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 5-6 फीट है.

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