भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने केवी कामथ समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और बैंकों को कोविद -19 महामारी के वक़्त उनपर से कुछ बोझ कम किया हैं। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को कामथ समिति की रिपोर्ट को ऐलान किया और इसके कुछ ही देर बाद रिपोर्ट के आधार पर किस तरह से उद्योग जगत को कर्ज अदाएगी में राहत देनी है और उनके बकाये कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग करनी है इसका निर्देश भी बैंकों को जारी कर दिया है। आरबीआइ ने आटोमोबाइल, रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन, पावर, एमएफसीजी, होटल, रेस्टोरेंट जैसे 26 औद्योगिक सेक्टरों के बकाये कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग का रास्ता साफ किया है।
क्या होती है लोन रिस्ट्रक्चरिंग?
रिस्ट्रक्चरिंग का सीधा अर्थ है लोन की मौजूदा शर्तों को बदलना। बैंक इन्हें ग्राहकों की सहूलियत के लिए बदलते हैं. बैंक की वित्तीय संस्थान, लोन की मूल रकम और इस पर ब्याज का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर पाते हैं। इसका ना के वाल बैंकों बल्कि ग्राहकों दोनों को फायदा है।
लोन कब तक चूका सकते हैं?
इसमें लोन चुकाने की अवधि बढ़ाई जा सकती है। साथ ही बैंक तय शर्तों के तहत ब्याज देने की फ्रीक्वेंसी में बदलाव कर सकते हैं। रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प तब चुना जाता हैं जब कर्ज लेने वाले की ओर से डिफॉल्ट का जोखिम होता है। कोरोना की महामारी ने कई लोगों के सामने ऐसी ही स्थितियों को खड़ा कर दिया है। इससे लोगों की कर्ज लौटाने की क्षमता पर असर पड़ा है।
कैसे करेगी मदद ?
ईएमआई रिस्ट्रक्चरिंग में बैंक लोन की अवधि को बढ़ा देता है. जिससे ग्राहक के लिए ईएमआई की रकम घट जाती है। इससे कर्ज लौटाने में टाइम मिल जाता हैं ।अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाने की सोच रहे हैं तो आपको कर्जदार को 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन करना है। जिसके बाद इस योजना में 180 दिन की सख्त समयसीमा तय की गई है। कर्जदार के आग्रह करने के दिन से 180 दिन के भीतर योजना पर अमल करना होगा।