करंट से कट गए भरत के दोनों हाथ, पैरों से लिखना सीखा और पहले ही प्रयास में बन गए कृषि पर्यवेक्षक

राजस्थान के सीकर में रहने वाले भरत सिंह शेखावत के जज्बे को सभी सलाम कर रहे हैं। 6 साल की उम्र में ही हाइटेंशन लाइन की चपेट में आने से अपने दोनों हाथ गंवाने वाले भरत ने पैरों से लिखना शुरू किया और अपने पहले ही प्रयास में कृषि पर्यवेक्षक के पद पर चयनित हुए हैं।
6 साल की उम्र में करंट की चपेट में आने के बाद भरत दो साल तक बिस्तर पर ही पड़ा रहा। हर दिन दोस्तों को स्कूल जाते देख जब उससे नहीं रहा गया तो पिता तेज सिंह से स्कूल जाने की जिद कर बैठा। पढाई का जुनून और जिंदगी को बदलने की जिद ऐसी की पैरों से लिखना तक सीख लिया। 8वीं की बोर्ड परीक्षा में भरत ने दूसरा स्थान हासिल किया। मुठ्टी से समय का रेत फिसलता गया और शुक्रवार को जब भरत का चयन कृषि पर्यवेक्षक के पद पर हुआ तो यह उन लोगों के लिए उसका करारा जवाब था जो असफलता के लिए बहाने ढूढ़ते हैं।
भरत बताते हैं मां ने जिंदगी जीने के लिए प्रेरित किया। कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने पढ़ाई की जिद पर न सिर्फ मनोबल तोड़ा बल्कि मजाक भी उड़ाया। यही नहीं, खेलों में भी भरत किसी से पीछे नहीं थे। 2016 में स्टेट पैरा ओलिम्पिक गेम में10 किमी में ब्रॉन्ज मैडल भी जीता।
भरत कहते हैं कि हिम्मत देखकर ही तो राजस्थान एग्री क्लासेज के निदेशक राम नारायण ने तीन साल तक नि:शुल्क तैयारी करवाई। भरत ने पैरों के सहारे मोबाइल-कम्प्यूटर चलाना सीखा और 85 फीसदी अंकों के साथ आरएससीआईटी का डिप्लोमा लिया।

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