
जानकारी के अनुसार अधिकारियों का मानना है कि ये 4.5 लाख शौचालय वास्तव में बने ही नहीं थे। सबूत के रूप में जिन शौचालयों की फोटो जमा की गई वो कहीं और के शौचालयों की थी। अधिकारियों ने जब इन फोटोग्राफ को जीपीएस से टैग करने की कोशिश की तो यह शौचालय ‘गायब’ मिले।
बता दें कि इस मामले के खुलासे ने साल 2017 में गुना जिले के उस शौचालय दरवाजा घोटाले की यादें ताजा कर दी है जिसमें 42000 शौचालयों के दरवाजों को 10 किलोग्राम कम वजन का बना कर करोड़ों रुपये का घपला किया गया था। राज्य के बैतूल (Betul) में स्थानीय पंचायत अधिकारियों ने इस बाबत अधिकारियों से शिकायत की थी। खबर के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि राज्य भर में ऐसे 4.5 लाख शौचालय चिह्नित किए गए हैं जो, वास्तव में मौजूद नहीं है। पंचायत और ग्रामीण विकास (Panchayat and Rural Development) के लिए यह आंखें खोलने वाला मामला है। अधिकारी के अनुसार जो शौचालय मौजूद नहीं है उनकी लागत करीब 540 करोड़ रुपये है।
इससे पहले पंचायत (Panchayat) की तरफ से की गई शिकायत के बाद हुई जांच में सामने आया कि स्वच्छ लाभार्थी (Clean beneficiary) के रूप में गांव के चार लोगों पता ही नहीं था कि उनके नाम पर शौचालय का निर्माण कर दिया गया है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड (Record) में उनके घर पर ना सिर्फ शौचालय का निर्माण हुआ था बल्कि उस शौचालय की तस्वीर भी जमा कराई गई थी। जांच में सामने आया कि ये फोटोग्राफ (Photograph) पड़ोसी के शौचालय की हैं। इस तरह स्थानीय पंचायत (Local Panchayat) की शिकायत सही पाई गई। इस मामले में एक आरोपी से 7 लाख रुपये रिकवरी के रूप में चुकाने को कहा गया।