तुम से पहले वो जो इक शख्स यहां तख्त-नशीं था, उस को भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था..

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच लगातार लगातार अपने तीखे शब्दों के जरिए प्रहार करने वाले शिवसेना के फायर ब्रांड नेता संजय राउत आज एक बार फिर शायराना अंदाज में अपनी बात रखी है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादक और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत (Sanjay Raut) लगातार हिंदी और उर्दू के शायरों की कलम से निकले शब्दों के जरिए अपनी बात रख रहे हैं. बुधवार को संजय राउत ने अपने ताजा ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता के माध्यम से अपनी बात रखी. संजय राउत ने लिखा, '...आओ फिर से दिया जलाएं.'
आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा,
अपनों के विघ्नों ने घेरा,
अंतिम जय का वज्र बनाने, नव दधीचि हड्डियां गलाएं।आओ फिर से दिया जलाएं।
अटल बिहारी वाजपेयी
इससे पहले मंगलवार (19 अक्टूबर) को संजय राउत ने लिखा था, 'अगर जिंदगी में कुछ पाना हो तो तरीके बदलो, इरादे नहीं- जय महाराष्ट्र'  
सोमवार (18 अक्टूबर) को संजय राउत ने पाकिस्तान के क्रांतिकारी शायर हबीब जालिब का शेर लिखा, 'तुम से पहले वो जो इक शख्स यहां तख्त-नशीं था, उस को भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था...'
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था
उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था :- हबीब जालिब
15 नवंबर को संजय राउत ने बशीर बद्र की बज्म लिखी, 'यारों नए मौसम ने ये अहसान किया है, याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते...'
14 नवंबर को संजय राउत ने लिखा, 'बंदे है हम उसके, हमपर किसका जोर, उम्मीदों के सूरज निकले चारों ओर...'
13 नवंबर को संजय राउत ने उर्दू के मशहूर शायर शकील आज़मी के शेर के साथ दिन का पहला ट्वीट किया. संजय राउत ने लिखा,  'अब हारना और डरना मना है....हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत होती है जब ठान लिया जाता है...'
बुधवार (13 नवंबर) को संजय राउत के ताजा ट्वीट में लिखा गया है, 'अग्निपथ, अग्निपथ...अग्निपथ..।' बता दें कि धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म अग्निपथ का यह डायलॉग हरिवंश राय बच्चन ने ही लिखा था.
मंगलवार (12 नवंबर) को भी संजय राउत ने हरिवंश राय बच्चन को याद करते हुए लिखा था. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती ।'
रविवार (10 नवंबर) के ट्वीट में संजय राउत ने उर्दू के मशहूर शायर वसीम बरेलवी के शेर की कुछ पंक्तियों को लिखा, 'रास्ते की परवाह करूंगा तो मंजिल बुरा मान जाएगी………!' 
शनिवार (9 नवंबर) को संजय राउत ने  अपनी बात कहने के लिए उर्दू की मशहूर शायर शबीना अदीब के शेर की कुछ पंक्तियों का सहारा लिया. संजय राउत ने लिखा, 'जो खानदानी रईस हैं वो, मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है।'
शुक्रवार (8 नवंबर) को भी संजय राउत ने अपनी बात वसीम बरेलवी के शेर के जरिए कही, 'वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से, मैं ऐतबार ना करता तो क्या करता?'
गुरुवार (6 नवंबर) को संजय राउत ने हिंदी के दिग्गज कवि कुमार दुष्यंत की लाइनों के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा था. संजय राउत ने लिखा था, 'तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं, कमाल है कि, फ़िर भी तुम्हें यक़ीन नहीं'.
मंगलवार (5 नवंबर) को संजय राउत ने उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी की लाइनों के जरिए अपनी बात रखी, उन्होंने लिखा, 'जो लोग कुछ नहीं करते वो कमाल करते हैं....'
सोमवार (4 नवंबर )को संजय राउत ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर एक बार फिर कुमार दुष्यंत को याद करते लिखा था. 'सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए, मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए...'

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