जीवन को रंगीन बनाएगा ये बदलाव

यदि घर में वास्तु के नियमों का पालन किया जाए तो पारिवारिक सदस्य बहुत सारी  मुश्किलों से बच सकते हैं। जहां वास्तुदोष होते हैं, वहां कभी खुशहाली नहीं आ सकती। उस स्थान में रहने वालों को चारों तरफ से परेशानियां घेरे रहती हैं और किसी भी काम में सफल नहीं होने देती। यहां तक की उनकी मेहनत भी रंग नहीं लाती। इसका एकमात्र उपाय है वातावरण में सकारात्मकता लाना। घर में लगे पर्दे काफी हद तक इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। पर्दों का इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है। ये पर्दे घर के कमरों की खिड़कियों, दरवाजों, रोशनदानों, बालकनी, मेहराब आदि में कहीं भी लगाए जा सकते हैं। अलग-अलग भागों में वास्तु के अनुसार पर्दे लगाएं जाएं तो जीवन की बहुत सारी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। अत: अपने घर के लिए पर्दों का चयन करते समय आप इन बातों का ध्यान जरूर रखें:
घर की पूर्व, उत्तर एवं पूर्वोत्तर दिशाओं में पारदर्शी पर्दे लगाएं। इन दिशाओं के बैडरूम में हल्के-फुल्के सौम्य, सैल्फ डिज़ाइन वाले पर्दों का चयन भी किया जा सकता है।
सीप, कौड़ी, कपड़े, कागज़ या रिबन आदि के बने झालरनुमा पर्दों का प्रयोग पूर्व व उत्तर दिशाओं की बालकनी, पोर्च, प्रवेश द्वार के अंदर किया जा सकता है। इससे परिवार के सदस्यों को करियर में सफलता मिलने लगती है।
दक्षिण दिशा में पर्दों का डिज़ाइन ऐसे त्रिकोण वाला होना चाहिए, जिसका नुकीला भाग ऊपर की ओर हो। ऐसे डिजाइन का प्रयोग करने से परिवार के आंतरिक संबंधों में मधुरता व अपनत्व आता है।
घर की पश्चिम दिशा में गोलाकार डिजाइन के पर्दे लगाएं। इससे सगे-संबंधी व मित्रों का व्यवहार आपके प्रति सहयोगपूर्ण बना रहता है।
पूर्व दिशा में हरा, दक्षिण दिशा में लाल, पश्चिम दिशा में सफ़ेद, गोल्डन, सिल्वर आदि तथा उत्तर दिशा में नीले रंग की प्रमुखता वाले रंग के पर्दे लगाने से पूरे परिवार में एकता बनी रहती है।
यदि पर्दा कहीं से कटा-फटा हो तो उसे बदल देना चाहिए क्योंकि ऐसे पर्दे दरिद्रता के प्रतीक होते हैं।
ध्यान रखें- घर के सभी पर्दों की समय-समय पर ड्राई क्लीनिंग अथवा छुलवाई करवाना भी जरूरी है, अन्यथा धूल-मिट्टी के कारण पर्दे सकारात्मकता छोड़ नकारात्मक ऊर्जा देनी शुरू कर देते हैं। 

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