मानक ब्यूरो में बढ़ीं पेयजल गुणवत्ता की शिकायतें

भोपाल। प्रदेश में गर्मी बढ़ने के साथ ही विभिन्न जिलों से पानी की गुणवत्ता संबंधी शिकायतें बढ़ने लगी हैं। पाउच और बोतल बंद पानी के अलावा 'चिल्ड वॉटर" के नाम से बिक रहे पानी के जार को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो में शिकायतें आ रही हैं। आईएसआई मार्का के दुरुपयोग और स्टॉप मार्किंग जैसे मामले भी हैं।

पानी के संबंध में ब्यूरो के पास राजधानी, जबलपुर, ग्वालियर सहित कुछ अन्य शहरों से शिकायतें आईं हैं। भोपाल सहित प्रदेश के अन्य शहरों में 'चिल्ड और आरओ वॉटर" के नाम पर बेचे जा रहे नीले-हरे रंग के 20 लीटर वाले पानी के जार पर कोई रोक-टोक नहीं है। शादियों अथवा अन्य समारोहों में ये जार आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें किसी तरह का कोई मार्का नहीं रहता।

खुले जार पर नहीं कोई मार्का

भारतीय मानक ब्यूरो का कहना है कि वह सिर्फ सीलबंद पानी के जार को आईएसआई मार्का लगाने की अनुमति है। 'चिल्ड वॉटर जार" खुला रहता है उसमें बड़ा ढक्कन रहता है। 20 लीटर के इस जार में बिक रहे पानी पर किसी किस्म का मार्का नहीं है। बताया जाता है कि खुले जार में बिक रहे पानी की जांच और नियंत्रण ब्यूरो के दायरे में नहीं आती। दोषी पाए जाने पर खाद्य अपमिश्रण निवारण नियम 1955 के तहत कार्रवाई की जाती है। बिना आईएसआई लाइसेंस के बोतलबंद, पाउच अथवा जार में पेयजल नहीं बेचा जा सकता। दोषी पाए जाने पर 50 हजार रुपए जुर्माना और एक साल तक की सजा का प्रावधान भी है।

आईएसआई जरूर जांचें

ब्यूरो की प्रमुख प्रीति भटनागर का कहना है कि कोई भी सामान लेने के पहले सही आईएसआई मार्का की पहचान जरूर कर लें। इस संबंध में यदि किसी प्रकार की शिकायत है तो विभाग की वेबसाइट पर उसकी शिकायत दर्ज कराएं। उन्होंने स्वीकार किया कि फर्जी तौर पर भी आईएसआई मार्का लगाने की शिकायतें आती हैं जिन पर कार्रवाई की जाती है।

वेबसाइट पर कंपनियों के नाम

मानक ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि जिन कंपनियों का आईएसआई लाइसेंस एक्सपायर हो जाता है कि उनकी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाती है। ब्यूरो की ओर से इन्हें स्टॉप मार्किंग के तहत आईएसआई मार्का का उपयोग नहीं करने की हिदायत दी जाती है, यदि कोई कंपनी अपने उत्पाद पर गलत ढंग से आईएसआई मार्का का उपयोग करती है तो दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।

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