भारत में IS सरगना तो नहीं शाजिया? हनी ट्रैप में फंसाती थी युवाओं को

सूरत. सूरत और अंकलेश्वर से गिरफ्तार उबेद और कासिम को आईएस से जोड़ने वाली शाजिया जांच एजेंसियों के लिए अभी भी पहेली बनी हुई है। शाजिया कौन है, कहां की रहने वाली है और आईएस से जुड़ने का उसका क्या मकसद है? उबेद-कासिम की गिरफ्तारी के बाद वह एक्टिव है या किसी दूसरे देश भाग गई है? इन सभी सवालों के जवाब अभी तक जांच एजेंसियों को नहीं मिल पाए हैं। पुलिस
के पास उसकी फोटो तक नहीं है।
युवाओं को हनी ट्रैप में फंसाती है शाजिया
- गुजरात एटीएस के पास अभी तक जो जानकारी है उसके मुताबिक, हवाई यात्रा करने वाली और महंगे होटलों में ठहराने वाली शाजिया हाई लाइफ जीने की आदी है। वह युवाओं को हनी ट्रैप में फंसाती है।
IS नेटवर्क तैयार करने के लिए बनाई टीम
- शाजिया ने भारत में आईएस का नेटवर्क तैयार करने के लिए उबेद, कासिम, जबीउल्ला, जबी, शब्बीर, अतीक, सरफराज और शाहिद जैसे लोगों की टीम तैयार कर ली थी।
- भारत में आईएस के जाल को फैलाने के लिए कर्नाटक के भटकल गांव के रहने वाले शफी अरमार ने प्रमुख भूमिका निभाई है। शफी अरमार के निर्देश पर ही शाजिया काम करती थी।
- इंडियन मुजाहिद्दीन के साथ जुड़े शफी अरमार ने जमैका के धर्म गुरु अब्दुल्ला अल-फजल के विचारों से प्रभावित होकर आईएस ज्वॉइन कर लिया था।
IS से जुड़े इन 6 लोगों की ये है पहचान
शफी अरमार: कर्नाटक का रहने वाला। आईएस का आतंकी। फिलहाल अफगानिस्तान में होने का शक।
उबेद मिर्जा: सूरत का रहने वाला। पेशे से वकील। शाजिया के निर्देश पर युवाओं का करता था ब्रेनवॉश।
कासिम स्टिंबरवाला: अंकलेश्वर में रहता था। यहूदी धर्मस्थलों पर हमले की फिराक में था।
जबी: उबेद और कासिम से कहा था कि स्मगलिंग का सामान कस्टम से निकालने में कर सकता है मदद।
शब्बीर: शाजिया के कॉन्टैक्ट में यह कैसे आया और क्या करता था, अभी तक साफ नहीं हुआ।
अतीक: इसका क्या काम था, इस बारे में भी साफ-साफ जानकारी नहीं है। इसके रोल की एटीएस जांच कर रही है।
कर्नाटक का रहने वाला शफी अरमार है बॉस
- मूल रूप से कर्नानटक का रहने वाला शफी अरमार भारत में आईएस का नेटवर्क तैयार करना चाहता था। 
- उसने शाजिया को अपना शिकार बनाया और उसे आईएस का नेटवर्क तैयार करने को कहा। शाजिया उसके इशारों पर काम करती थी।
जमैका के धर्म गुरु से इन्स्पायर हुए कासिम-उबेद
- एटीएस सूत्रों के मुताबिक, कासिम और उबेद जमैका के धर्म गुरु अब्दुल्ला अल फजल के विचारों से काफी प्रभावित थे। 
- कहा जा रहा है कि अब्दुल्ला के प्रवचन आईएस से प्रेरित होते हैं। उसके प्रवचन के वीडियो देखकर दोनों आईएस से जुड़ना चाहते थे। उन्हें एक प्लेटफॉर्म की जरूरत थी।
- कासिम और उबेद को यह प्लेटफॉर्म शफी अरमार ने शाजिया के जरिए मुहैया कराया। 
- शफी पहले इंडियन मुजाहिद्दीन के लिए काम करता था। बाद में आईएस से जुड़ गया। 
- आईएस के लिए काम करने के लिए वह और उसका भाई सुलतान और अन्य 5 लोग 4 साल पाकिस्तान-अफगानिस्तान के मार्ग से इराक गए।
सबसे पहले चेन्नई के 4 युवकों का किया था ब्रेनवॉश
- शफी और उसका भाई सुलतान आईएस में भर्ती होने के लिए इराक गए थे। वहां पर अमेरिका की बमबारी में सुलतान अरमार मारा गया था।
- भाई की मौत के बाद शफी अरमार ज्यादा जुनूनी हो गया। उसके बाद तो उसने आईएस में युवकों की भर्ती कराने के लिए मुहिम शुरू कर दी थी।
- शफी और शाजिया का पहला शिकार उबेद और कासिम बने थे। कासिम-उबेद से शफी भी काफी प्र‌भावित हुआ। उसके बाद युवकों की भरती की जिम्मेदारी कासिम-उबेद-शाजिया को सौंप दी थी।
- सबसे पहले चेन्नई के 4 युवकों का ब्रेनवॉश किया गया। बाद में ये युवक पकड़े गए थे।
ATS-NIA भी नहीं खोज पा रहीं शाजिया को
- आईएस की तरफ से इराक में लड़ते हुए शफी अरमार के भाई सुलतान अरमार की मौत हो गई थी।
- उसके बाद शफी भारत में आईएस का नेटवर्क खड़ा करना चाहता था। उसे एक ऐसे साथी की तलाश थी जो उसके निर्देश पर लोगों को आईएस से जोड़े।
- ऐसे में उसे शाजिया का साथ मिला था। शाजिया ने ही कासिम और उबेद जैसे लोगों का शफी से मिलवाया। 
- उसके बाद उसने इस सभी पर नेटवर्क को फैलाने की जिम्मेदारी छोड़ दी। 
- शाजिया ने अपनी पूरी एक टीम बना दी। शाजिया इस समय कहां है इसके बारे में एटीएस और एनआईए के पास भी जानकारी नहीं है। हालांकि जांच एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हुई हैं।

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