पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा- एेसी राजनीति से कांग्रेस खो देगी पहचान

नई दिल्ली । पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिर्फ सरकार बनाने के लिए गठबंधन करने के खिलाफ जिरह की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी कोशिशों से कांग्रेस पार्टी अपनी पहचान खो देगी। मुखर्जी की यह दलील ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस पार्टी भाजपा के खिलाफ गठजोड़ करने की भरसक कोशिश कर रही है।

अपनी नई किताब 'द कोएलिशन ईयर्स : 1996 टु 2012' में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि 2004 के चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के वर्ष 2003 में गठबंधन बनाने के फैसले से वह खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनकी राय इस बारे में आज तक नहीं बदली है। राष्ट्रपति बनने से पहले कांग्रेस में लंबी पारी खेलने वाले प्रणब मुखर्जी ने 'एकला चलो रे' की रणनीति का हवाला देते हुए कहा कि यही एक तरीका है कि कांग्रेस अपनी पहचान पर कायम रह सके।

वर्ष 2003 में सभी सेकुलर दलों के साथ मिलकर भाजपा को हराने के शिमला सम्मेलन के कांग्रेसी फैसले पर वह सहमत नहीं थे। शिमला में सभी प्रतिनिधिमंडलों को सुना और समझा गया था। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह समेत अधिकांश का मानना था कि पचमढ़ी रणनीति को बदलने की जरूरत है। लेकिन मेरा मानना है कि अन्य दलों के साथ सत्ता साझा करने से हमारी अपनी पहचान कमतर आंकी जाएगी।

2004 शीर्षक वाले अध्याय में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है-'मैंने तब समझाया था कि विपक्ष में बैठने में कोई नुकसान नहीं है।' उन्होंने बताया कि वर्ष 1998 में चार और छह सितंबर को हुए पचमढ़ी सम्मेलन के आखिरी दिन कांग्रेस ने सालों-साल देश में अकेले शासन करने के बाद पहली बार गठबंधन की राजनीति के महत्व को माना था। इस सम्मेलन में सोनिया गांधी ने कहा था कि यह देखते हुए कि राष्ट्रीय राजनीति में गठबंधन का दौर चल रहा है, कई प्रकार से कांग्रेस में गिरावट नजर आ रही है।

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