31 जुलाई तक नहीं भरा रिटर्न तो हो सकते हैं नुकसान

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट कर दिया है कि रिटर्न फाइल करने की तारीख 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। फिर भी किसी ने सारे टैक्स भरे हैं तो डेडलाइन में आईटीआर फाइल न करने का कोई नुकसान नहीं होने की सोच को ज्यादा बढ़ावा इस बात से भी मिल रहा है कि रिटर्न फाइल करने में देरी होने पर जुर्माने का प्रस्तावित प्रावधान अगले साल से शुरू होने जा रहा है। वित्त वर्ष 16-17 के लिए यह लागू नहीं होता। अगर आपने सारे टैक्स चुकाए हैं और देरी से रिटर्न फाइल करने के लिए भले कोई पेनल्टी न हो, इसके बावजूद डेडलाइन के अंदर रिटर्न न फाइल करने के कई नुकसान हैं।
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए अंतिम तारीख तक आईटीआर फाइल करना ज्यादा जरूरी हो जाता है, अगर आपने नोटबंदी के दौरान (9 नवंबर, 2016 से 31 दिसंबर, 2016) 2 लाख रुपये या उससे ज्यादा अपने बैंक अकाउंट में नकद जमा कराए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह के डिपॉजिट के बारे में जानकारी देना वित्त वर्ष 2016-17 से अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में मुमकिन है कि अगर आपने वक्त पर आईटीआर नहीं भरा तो क्लीन मनी अभियान में जुटे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से आपको एक लेटर मिले। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स के फाइनैंशल डेटा को लगातार ट्रैक कर रहा है। ऐसे बहुत सारे लोग जिन्होंने अभी तक रिटर्न नहीं भरा, उनको विभाग की ओर से मिले एसएमएस इस बात के सबूत हैं। एसएमएस में लिखा है, 'वित्त वर्ष 2016-17 के लिए आपके 26AS स्टेटमेंट से इनकम रिसीट और टीडीएस के बारे में पता चलता है। कृपया अपनी टैक्स देनदारी सुनिश्चित करें और तयशुदा तारीख तक आईटी रिटर्न फाइल करें। अपना पैन आधार के साथ लिंक करें।'
मान लीजिए कि आप किसी अडवांस टैक्स पेमेंट या टीडीएस के लिए भरे रिटर्न में रिफंड क्लेम करते हैं, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से ऐसे पेमेंट पर दिए जाने वाले ब्याज में कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है। जानकारों के मुताबिक, रिफंड पर ब्याज आम तौर पर 'असेसमेंट इयर' (जिस वित्त वर्ष के लिए रिटर्न फाइल किया जाता है, उसके ठीक बाद वाला साल) के 1 अप्रैल से लेकर रिफंड जारी करने की तारीख तक कैलकुलेट किया जाता है। अगर तयशुदा डेडलाइन के बाद रिटर्न फाइल किया जाता है तो ब्याज का निर्धारण रिटर्न फाइल करने की तारीख से लेकर रिफंड देने के वक्त के बीच, के आधार पर होता है। इसका मतलब यह है कि 1 अप्रैल से लेकर रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन के बीच की अवधि के ब्याज का नुकसान। सोचिए, अगर आप तयशुदा तारीख से एक दिन बाद भी रिटर्न फाइल करते हैं तो आपको कम से कम चार महीने- अप्रैल, मई, जून और जुलाई तक के ब्याज का नुकसान होगा।
अगर आप देरी से रिटर्न फाइल करते हैं तो हाउस प्रॉपर्टी के मामले को छोड़कर किसी भी लॉसेस को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते। एक्सपर्ट के मुताबिक, बिजनस या प्रफेशन, कैपिटल गेन्स और अन्य स्रोतों से होनेवाली आमदनी में होनेवाले नुकसान को देरी से रिटर्न फाइल करने की हालत में कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता। भले ही टैक्सपेयर ने सभी टैक्स वक्त पर चुकाए हैं, फिर भी रिटर्न में देरी होने पर उसे लॉसेस को कैरी फॉरवर्ड की अनुमति नहीं मिल पाएगी।
अगर आप पर कोई भी टैक्स देनदारी है तो देरी से रिटर्न फाइल करने की स्थिति में डेडलाइन की आखिरी तारीख से रिटर्न फाइल करने की तारीख तक 1 प्रतिशत के दर से जुर्माना लगेगा। अगर असेसमेंट इयर के बाद भी रिटर्न फाइल नहीं होता और टैक्स देनदारी 3 हजार रुपये से ज्यादा है तो टैक्स अधिकारी ऐक्शन ले सकते हैं।

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