ड्रायफ्रूट घोटाला: जल चौपाल के नाम पर काजू-बादाम के बिल, ज़मीन पर दिखी खिचड़ी और पूड़ी



शहडोल। जिले की भदवाही पंचायत में 'जल गंगा संवर्धन अभियान' के तहत हुए एक घंटे के कार्यक्रम में लाखों का खर्च दर्शा कर फर्जीवाड़े की बू उठने लगी है। 25 मई को आयोजित जल चौपाल में अधिकारियों के स्वागत के नाम पर 14 हजार रुपये के काजू-किशमिश और अन्य मंहगे खाद्य पदार्थों की खरीदी दिखाई गई, लेकिन मौके पर मौजूद लोगों ने इन चीज़ों को देखे जाने से ही इनकार कर दिया। सोशल मीडिया पर बिल वायरल होने के बाद पंचायत और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मच गई है।

ड्रायफ्रूट की दावत…या कागज़ी खिलावट?

पंचायत के दस्तावेजों के मुताबिक, इस अल्पकालिक कार्यक्रम में 5 किलो काजू, 6 किलो बादाम और 3 किलो किशमिश परोसी गई। इसके अतिरिक्त 6 लीटर दूध, 5 किलो चीनी, 30 किलो नमकीन और 20 पैकेट बिस्किट का बिल भी जोड़ा गया। कुल मिलाकर ₹19,010 खर्च दिखाए गए हैं।

हैरानी की बात यह है कि एक दुकान पर काजू ₹600 प्रति किलो मिले, तो दूसरी पर ₹1000 प्रति किलो। रसगुल्लों का भी यही हाल रहा जहां बाजार भाव ₹500 किलो के करीब है, वहीं बिल में ₹1,000 किलो दर्ज किया गया है।

अफसरों ने खाई खिचड़ी, काजू-किशमिश रह गए बिल में

कार्यक्रम में शामिल रहे ग्रामीणों की माने तो ज़मीनी हकीकत इन कागजी दावों से कोसों दूर थी। अधिकतर लोगों ने खिचड़ी और पूड़ी-सब्जी खाई, जबकि ड्रायफ्रूट कहीं नजर नहीं आए। यानी जो परोसा गया, वह कुछ और थाऔर जो बिल में दिखाया गया, वह शायद कभी आया ही नहीं।

एक घंटे में 'लाखों' का खेल

यह आयोजन भदवाही पंचायत के झुंझा नाले पर हुआ, जिसमें कलेक्टर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी लगभग एक घंटे ही मौजूद रहे। इतने कम समय में इतने महंगे बिल पास किया जाना संदेह के घेरे में है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जल संरचना कार्यक्रम की आड़ में फर्जी भुगतान का खेल रचा गया।

अब जांच जरूरी

विवाद बढ़ने के बाद यह मामला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निगरानी में आ गया है। ग्रामीण जन कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगा या फिर दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी?


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