श्योपुर (मध्य प्रदेश)। अक्षय तृतीया के अवसर पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हो गई। जिला मुख्यालय पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुस्लिम शिक्षकों की वेदी के पास मौजूदगी को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिसके चलते कुछ जोड़े विवाह की पूर्ण वैदिक रस्में निभाए बिना ही लौट गए।
कार्यक्रम में कुल 231 जोड़ों का विवाह संपन्न कराया जाना था। व्यवस्था की जिम्मेदारी नगर पालिका और जनपद पंचायत को सौंपी गई थी, जबकि धार्मिक अनुष्ठान गायत्री परिवार द्वारा संपन्न कराए जाने थे। कार्यक्रम के दौरान 10 मुस्लिम शिक्षकों को आयोजन स्थल पर व्यवस्थात्मक भूमिकाओं के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन उनकी वेदी के समीप उपस्थिति को लेकर कुछ लोगों में भ्रम और असंतोष उत्पन्न हुआ।
विवाह रस्मों को लेकर उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, कुछ जोड़ों और उनके परिजनों को यह आपत्ति थी कि वेदी के निकट बैठने वाले व्यक्ति वैदिक संस्कृति से संबंधित नहीं हैं। इसी के चलते कुछ जोड़े बिना फेरे लिए ही सम्मेलन से वापस लौट गए और बाद में किसी अन्य आयोजन में सनातन परंपरा के अनुसार विवाह संपन्न कराया।
प्रशासन ने दी सफाई
विवाद पर सफाई देते हुए श्योपुर जनपद के सीईओ ने कहा, "मुस्लिम शिक्षक केवल प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए तैनात किए गए थे। वेदी पर मंत्रोच्चार का कार्य केवल गायत्री परिवार के प्रशिक्षित पंडितों द्वारा ही किया गया। मेरी जानकारी के अनुसार सभी विवाह वैध रूप से सम्पन्न हुए हैं।"
हालांकि, कुछ जोड़ों के लौटने की पुष्टि स्थानीय सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स से होती है। यह स्थिति विवाह जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन में समन्वय की कमी को उजागर करती है, जो सामाजिक विश्वास और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ मुद्दा है।