मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में सिकरौदा तिराहा स्थित स्नेहालय में छह साल पहले हुए एक दिल दहला देने वाले मामले में अदालत ने चौकीदार साहब सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला मूकबधिर युवती से दुष्कर्म और उसके बाद भ्रूण को गटर में फेंकने से जुड़ा है। साथ ही, संस्था के संचालक डॉ. बीके शर्मा, उनकी पत्नी डॉ. भावना शर्मा, सुपरवाइजर प्रभा यादव, और सफाईकर्मी रवि वाल्मीकि को भी 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। इन सभी पर सात-सात हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है।
घटना का विवरण
शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा के अनुसार, यह घटना सितंबर 2018 की है। स्नेहालय में रहने वाली एक मूकबधिर युवती के साथ चौकीदार साहब सिंह ने दुष्कर्म किया था। इस घटना का खुलासा तब हुआ जब वहां रहने वाली एक अन्य लड़की ने प्रशासन को इसकी जानकारी दी। लेकिन, संस्था के संचालक और अन्य पदाधिकारियों ने इसे छुपाने की कोशिश की।
युवती के गर्भवती होने पर संस्था के प्रमुख डॉ. बीके शर्मा और उनकी पत्नी डॉ. भावना शर्मा ने गर्भपात कराने का आदेश दिया। भ्रूण को जलाकर गटर में बहा दिया गया। घटना की जानकारी बाहर आने पर प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की।
जांच और कानूनी कार्यवाही
19 सितंबर 2018 को एक बालिका ने बताया कि चार-पांच महीने पहले संस्था परिसर में मूकबधिर युवती के साथ दुष्कर्म हुआ था। इसके बावजूद चौकीदार साहब सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। संस्था के अन्य कर्मचारी, जिनमें सुपरवाइजर प्रभा यादव और सफाईकर्मी रवि वाल्मीकि शामिल थे, ने भ्रूण को गटर में बहाने में मदद की।
जांच के दौरान, मूकबधिर युवती के बयान भाषा अनुवादक की मदद से दर्ज किए गए। बिलौआ थाने में चौकीदार के खिलाफ बलात्कार और अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत मिटाने के आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
न्यायिक निर्णय
अदालत ने इस मामले में चौकीदार साहब सिंह को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। संस्था के संचालक डॉ. बीके शर्मा, उनकी पत्नी डॉ. भावना शर्मा, सुपरवाइजर प्रभा यादव और सफाईकर्मी रवि वाल्मीकि को 10-10 साल की सजा दी गई। न्यायालय ने सभी आरोपियों पर आर्थिक दंड भी लगाया।
स्नेहालय की संदिग्ध गतिविधियां
स्नेहालय संस्था झांसी रोड के सिकरौदा तिराहे पर स्थित थी और इसे विदेशों से भी आर्थिक मदद मिलती थी। लेकिन, इस घटना के बाद संस्था की गतिविधियों पर सवाल उठे। सभी लड़कियों को अन्य आश्रमों में स्थानांतरित कर दिया गया।
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
इस घटना ने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर किया। संस्था के संचालकों और कर्मचारियों ने घटना को छुपाने की हर संभव कोशिश की। यह मामला हमें बताता है कि संवेदनशील मुद्दों पर जागरूकता और सतर्कता कितनी महत्वपूर्ण है।