और ये कह कर योगेश्वर अंतध्यान हो गए



कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में कौरव सेना की पराजय का दर्द लेकरधृतराष्ट्र विचलित थे और इस प्रतीक्षा में उन्होंने द्वापर से लेकर कलयुग तक एक एक पल इसी घुटन के साथ बिताया कि कैसेसत्ता हासिल हो | कुरुक्षेत्र अब कोरोना क्षेत्र के तौर पर विस्तार ले चुका है कोरोनास्त्र के प्रयोग से त्राहि त्राहि मची है और धृतराष्ट्र की आँखों में सत्ता के विस्तार का स्वप्न है | हर तरफ चिताओं की ज्वाला
गंगाचरण मिश्र (वरिष्ठ पत्रकार) 


धधक रही है | सूर्य अस्ताचल की ओर है और धृतराष्ट्र युद्धभूमि मेंखड़े होकर अपने एक सौ पुत्रों के बलिदान को याद करते हुए कभीदुखी होते हैं और तत्क्षण अट्टहास करने लगते हैं |अकाल मौत मर रहे स्वजनों और प्रजा की चीख से व्याकुल धृतराष्ट्र कोरोनाक्षेत्र में द्वारिकाधीश को पुकारते हैं और प्रश्न करते हैं कि हे वासुदेव मेरे
अन्त:करण में एक वेदना है उसका समाधान कीजिये | द्वारिकाधीशकोरोनाक्षेत्र पहुँचते हैं और सादर अभिवादन करते हुए मन्द मन्द मुस्करा देते हैं | धृतराष्ट्र शांतचित्त होकर बोलते हैं कि हे! कृष्ण तुमनेकुरुक्षेत्र में पांडुपुत्र अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था और अपना
विराट स्वरूप दिखाकर कहा था कि पार्थ इस संसार में जो भी घटनाएं होती हैं वे सब तुम्हारी मर्जी से होती हैं | तुमने ही कहा था कि युद्ध में यह विचार मत करो कि प्रतिद्वंदी कौन है | पितामह, गुरु द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण, दु:शासन और दुर्योधन का वध जब हुआ तब तुम न सिर्फ अर्जुन के रथ के सारथी थे बल्कि तुमने तो शस्त्र न उठाने के अपने संकल्प को भी तोड़कर रथ का पहिया उठा लिया था | संजय ने हस्तिनापुर में कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि का आँखों देखा हाल सुनाते हुए बताया था कि भीष्म पितामह की इच्छामृत्यु को देखते हुए शिखंडी की भूमिका भी आपने ही तय की थी | वासुदेव चुपचाप खड़े होकर धृतराष्ट्र की बातें सुन रहे थे अचानक से वासुदेव ने कहा तात् श्री आपने अभिमन्यु वध और लाक्षागृह जैसी घटनाओं
भरी सभा में द्रौपदी के चीर हरण जैसी घटनाओं की चर्चा नहीं की |यह सुनते ही धृतराष्ट्र क्रोधित हो गये और बोले माधव यह कलयुग है
यहाँ स्वार्थ के लिए 70 बरस पुरानी सरकार के तथ्यहीन दोषों को बताकर सत्ता पर विजय हासिल की जाती है |कृष्ण ने शांत भाव से कहा कि जिन राज्यों में आपकी विजय पताका फहरा रही है वहाँ भी अशांति है कोरोनास्त्र के प्रयोग से जीवन संकट में है प्राणवायु के लिए राष्ट्र में हाहाकार मचा है और जीवन रक्षक औषधियाँ उपलब्ध नहीं हो रहीं, रुग्णालयों में उपचार सेवाएं ठप्प हैं चिकित्सकों की कमी है और आप विश्व विजय का स्वप्न देख रहे |धृतराष्ट्र ने एक बार फिर हुंकारते हुए कहा कि वासुदेव तुम मुझे ज्ञान मत दो इस बार मैं सिर्फ संजय पर आश्रित नहीं हूँ सूचना प्रसारण के सभी माध्यम हमारे नियंत्रण में हैं और मैं सतत् जनता से मन की बात कर रहा हूँ | ताली थाली घंटा बजवा चुका हूँ और अब देखना मैं प्रजा को यह भरोसा भी दिला दूँगा कि वैश्विक महामारी की रामबाण दवा बन चुकी है | कृष्ण ने मुस्कराते हुए कहा कि आम जनता को अब राम के नाम पर बहलाना संभव नहीं तात् श्री | और यह कहते ही योगेश्वर अन्तर्ध्यान हो गये |

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