यदि आप वर्क फ्राम होम में इतने घंटे से अधिक काम करते हैं तो जा सकती है जान



दिल्ली। कोरोना के कहर के बीच देश के तमाम हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है। अधिकांश कंपनियों में काम करने वाले लाखों कर्मचारी कार्यालय की अपेक्षा घरों से काम कर रहे हैं। कार्यालय में जहां कर्मचारी 6 से 8 घंटे की शिफ्ट में काम करते थे लेकिन अब यह समय लगभग दोगुना हो चुका है। लंबे समय तक लगातार काम करना सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने एक रिपोर्ट जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों द्वारा किए शोध में पता चला है कि लाखों लोगों की मौत लंबे समय तक काम करने से हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार एक आंकड़ें को प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्क आवर से ज्यादा देर तक काम करने से एक साल में हजारों लोगों की जान गयी है। महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम वाले कर्मचारियों का तनाव लगातार बढ़ा है। कर्मचारी नौकरी बचाने के लिए लगातार जान जोखिम में डाल रहे हैं। अगर आप भी लंबे समय तक लैपटॉप के आगे अपनी नजरें लगाए रहते हैं तो संकट बड़ा है।

बढ़ गये स्ट्रोक और हृदय रोग के मामले
लंबे समय तक काम करने वालों की लाइफ को लेकर ‘एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में दुनिया का पहला शोध प्रकाशित हुआ है। साल 2016 में ज्यादा देर तक काम करने के चलते स्ट्रोक और हृदय रोग बढ़ गया। इस दौरान दुनिया भर में 7.45 लाख लोगों की जान चली गई। यह संख्या साल 2000 से की तुलना से करीब 30 फीसदी अधिक थी।


पुरुषों के लिए घातक है स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक मारिया नीरा ने कहा कि एक रिसर्च के मुताबिक हर सप्ताह 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करना एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा हम उन श्रमिकों की जान बचाना चाहते हैं, जो अब भी लंबे समय तक काम में जुट रहते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का यह संयुक्त शोध कुल 194 देशों के आंकड़ों पर आधारित है। अध्ययन में साल 2000 से लेकर 2016 तक के आंकड़े लिये गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर हफ्ते 35-40 घंटे काम करने वालों की तुलना में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वालों में 35 फीसदी लोग स्ट्रोक का शिकार हुए हैं। 17 फीसदी लोगों की जान जोखिम में होती है।


लंबे समय तक काम करने के दुश्प्रभाव सबसे ज्यादा चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकता है। शोध में बताया गया कि मरने वालों की ज्यादा संख्या दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के लोगों की है। सप्ताह में 55 घंटे से ज्यादा काम करने वाली प्रवृत्ति में सुधार जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेसियस ने कहा कि महामारी के दौरान अनुमान के तौर पर तकरीबन 9 प्रतिशत लोग लंबे समय तक काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों में स्ट्रेस के से होने वाली बीमारियों के सिम्टम्स काफी बढ़े हैं।

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