कोरोना के जिस B.1.617 वेरिएंट ने सब को हिलाकर रख दिया, उस पर ये तीन वैक्सीन हैं सबसे ज्‍यादा प्रभावी



नई दिल्‍ली । भारत India में कोरोनावायरस (Coronavirus) के सबसे अधिक मामले कोविड-19 के B.1.617 वेरिएंट की वजह से सामने आ रहे हैं. लेकिन मुसीबत की इस घड़ी में एक उम्मीद की किरण नजर आने लगी है. दरअसल, अमेरिका (America) में अब तक जिन वैक्सीनों (Vaccine) को इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, वे इस वेरिएंट के खिलाफ कारगर (Effective gainst variants) नजर आ रही हैं. अमेरिका के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है. बता दें कि अमेरिका में फाइजर(Pfizer), मॉडर्ना ( Moderna) और जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) वैक्सीन (Vaccine)को इस्तेमाल की मंजूरी मिली है.

US नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के निदेशक (Director of the National Institute of Science) डॉ. फ्रांसिस कोलिन्स (Dr. Francis Collinsam) ने कहा कि ये ऑब्जर्वेशन वेरिएंट और अमेरिका द्वारा मंजूर की गईं तीन वैक्सानों के नवीनतम डाटा के आधार पर है. कॉलिन्स ने मीडिया को बताया कि डाटा आना शुरू हो चुका है और ये साहस बढ़ाने वाला है, क्योंकि अमेरिका द्वारा मंजूर की गईं वैक्सीन-फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन B.1.617 वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, इस वेरिएंट से अमेरिकी लोगों को बचाने के लिए तीनों वैक्सीन काफी होनी चाहिए. वास्तव में ये अच्छी बात है.

माना जा रहा है कि इन वैक्सीनों को आने वाले समय में भारत में इस्तेमाल की मंजूरी दी सकती है. इससे लोगों को काफी राहत मिलने वाली है. वर्तमान समय में भारत दुनिया में कोरोनावायरस की सबसे बुरी लहर का सामना कर रहा है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक होने से लोगों को बेड्स की किल्लत का सामना करना पड़ा रहा है. इसके अलावा, कई राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी देखने को मिली है. फिलहाल भारत में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए तेजी से वैक्सीन लगाने का काम जारी है.

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने B.1.617 SARS-CoV-2 वेरिएंट को चिंता वाला वेरिएंट बताया था. WHO ने कहा था कि इस बात के सबूत हैं कि ये वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है. स्वास्थ्य निकाय ने बताया कि भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे B.1.617 वेरिएंट का ही हाथ है. भारत के अलावा ये वेरिएंट तेजी से फैलते हुए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंच गया है. WHO ने बताया कि B.1.617 वेरिएंट पहली बार भारत में अक्टूबर में पाया गया था. GISAID ओपन-एक्सेस डेटाबेस में अपलोड किए गए सिक्वेंस में सामने आया है कि ये वेरिएंट सभी छह WHO क्षेत्रों के 44 देशों में पाया गया है.

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