Coronavirus vaccine: भारत में सबसे पहले मिल सकती है कोरोना की ये वैक्सीन, जानिए टीके से जुड़े ताजा अपडेट्स

दुनियाभर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने का काम तेजी से हो रहा है। इसमें भारत भी शामिल है। यहां कोरोना की तीन वैक्सीन विकसित की जा रही हैं, जिसमें ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन भी शामिल है। भारत में इसे 'कोविशील्ड' नाम दिया गया है। पुणे की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन के उत्पादन में एस्ट्राजेनेका की पार्टनर है। सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है। देश के 17 शहरों में इस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है, जिसमें वॉलिंटियर के तौर पर 18 साल से ज्यादा उम्र वाले करीब 1600 लोगों को शामिल किया गया है। भारत में वैक्सीन की रेस में सबसे आगे इसी टीके को माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस साल के अंत तक यह वैक्सीन भारतीय लोगों को मिल सकती है।

हाल ही में अदार पूनावाला ने कहा था कि उनकी कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया प्रति मिनट वैक्सीन की 500 खुराक तैयार करेगी। शुरुआत में हर महीने 40 से 50 लाख वैक्सीन की डोज तैयार करने पर ध्यान दिया जाएगा। बाद में कंपनी इसे बढ़ाकर सालाना 35 से 40 करोड़ डोज तक ले जाएगी। अदार पूनावाला के मुताबिक, इस वैक्सीन की कीमत बेहद ही कम होगी।

ऑक्सफोर्ड के अलावा भारत में जो वैक्सीन विकसित की जा रही है, उसका नाम 'कोवैक्सीन' है। इसे भारत बायोटेक कंपनी आईसीएमआर के सहयोग से विकसित कर रही है। इसके पहले चरण का ट्रायल पूरा हो गया है और दूसरे चरण के ट्रायल की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि इसकी शुरुआत सितंबर से हो सकती है। इसके लिए लिए वॉलंटियर्स (स्वयंसेवकों) की पहचान की जा रही है।

अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला भी कोरोना की वैक्सीन बना रही है। इसे 'जायकोव-डी' नाम दिया गया है। फिलहाल इसके दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। कंपनी के चेयरमैन पंकज आर. पटेल के मुताबिक, पहले चरण में वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। जिन लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी, सात दिनों तक डॉक्टरों की टीम द्वारा उनकी निगरानी की गई, लेकिन उनमें कोई भी साइड-इफेक्ट देखने को नहीं मिला। कई विशेषज्ञों ने भी इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी रूसी स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में हैं। गमलेया इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई वैक्सीन 'स्पूतनिक-वी' को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन फिलहाल इस वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव के डेटा के आने का इंतजार किया जा रहा है। आपको बता दें कि हाल ही में रूस में इस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी दावा किया है कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और उनकी बेटी को भी टीका लगाया गया है।

चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कैन्सिनो बायोलॉजिक्स इंक (CanSino Biologics Inc) की कोरोना वैक्सीन Ad5-nCoV को पेटेंट मिल गया है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि इस साल के अंत तक यह वैक्सीन बाजार में आ सकती है। , लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या यह वैक्सीन भारत को मिल पाएगी। वैसे तो चीन ने पाकिस्तान, ब्राजील, इंडोनेशिया और फिलीपींस को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन देने के बारे में कहा है, लेकिन चूंकि भारत से उसका सीमा को लेकर विवाद चल रहा है, ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि वह भारत को वैक्सीन जल्द से जल्द उपलब्ध कराने से परहेज कर सकता है। 


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