शोधकर्ताओं ने 300 साल के इतिहास में फ्लू संबंधी बड़ी महामारियों को लेकर अध्ययन किया। रिसर्च में पाया गया कि पहले दौर के छह महीने के बाद तकरीबन हर महामारी का दूसरा दौर आता है, जो ज़्यादा घातक साबित होता है। करीब दो सालों तक और भी दौर आते हैं, लेकिन बाद के दौर अपेक्षाकृत कम असरकारी होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी का समय डेढ़ से दो साल तक का होता ही है क्योंकि हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने में इतना समय लग ही जाता है। मौजूदा कोविड 19 के मामले में 60 से 70 फीसदी आबादी में इम्यूनिटी विकसित होने में दो साल का समय लगेगा। क्योंकि अभी दुनिया में सिर्फ 34 लाख संक्रमण मामले हैं, जो कि कुल आबादी का बहुत छोटा हिस्सा है। वैज्ञानिकों को हालांकि अभी यह नहीं पता है कि एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाला व्यक्ति क्या भविष्य के लिए इम्यून हो जाएगा या उसकी यह इम्यूनिटी कितने समय की होगी। दूसरी ओर,शोधकर्ता पहले ही चेता चुके हैं कि महामारी के दूसरे दौर के लिए तैयार रहें क्योंकि यह पहले दौर से ज़्यादा जानलेवा साबित हो सकता है।
इसके पहले भारत में हर्ड इम्यूनिटी के आधार पर ही संक्रमण पर काबू पाने की थ्योरी दी गई थी। भारतीय वैज्ञानिकों ने कहा था कि भारत की करीब 60 फीसदी आबादी को संक्रमित होकर वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करना होगी। लेकिन हर्ड इम्यूनिटी की थ्योरी पर सवाल खड़े करते हुए फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट कहती है कि यह थ्योरी विवादित है इस यूके पहले ही खारिज कर चुका है।
