धार्मिक परंपराओं में अधिकतर व्रत और त्योहार महिलाओं के लिए होता हैं जिनको करने से पति की उम्र बढ़ती हैं और वैवाहिक जीवन में भी सुख शांति व सौभाग्य होता हैं इनमें वट सावित्री व्रत महत्वपूर्ण हैं। इसमें बरगद यानी वट की पूजा की जाती हैं और तीन दिनों तक व्रत रखा जाता हैं जो कि इस बार 22 मई दिन शुक्रवार यानी की कल यह व्रत रखा जाएगा।
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा या अमावस्या के तीन दिन पहले से आरंभ हो जाता हैं ये व्रत त्रयोदशी तिथि यानी किसी भी पक्ष के तेरहवें दिन से शुरू होता हैं ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योंकि सावित्री ने भी अपने पति के जीवन के लिए लगातार तीन दिनों तक व्रत रखा था।
हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के मुताबिक माना जाता हैं कि वट वृक्ष्ज्ञ के मूल यानी जड़ों में शिव, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में ब्रह्मा रहते हैं। इसीलिए वट वृक्ष यानी बरगद को देव वृक्ष भी कहा जाता हैं इनके साथ देवी सावित्री का वास भी इसी पेड़ में माना जाता हैं ज्येष्ठ माह में ये व्रत किया जाता हैं
इस व्रत के एक दिन पहले महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और सौलह श्रृंगार की तैयारियां करती हैं ऐसा करने के पीछे वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और पति की लंबी उम्र पाने की कामना होती हैं व्रत वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर के नहाती हैं इसके बाद पूजा की तैयारियों के साथ नैवेद्य बनाती हैं फिर बरगद के पेड़ के नीचे भगवान शिव पार्वती और श्री गणेश की आराधना की जाती हैं इसके बाद पेड़ को जल अर्पित करते हैं।
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा या अमावस्या के तीन दिन पहले से आरंभ हो जाता हैं ये व्रत त्रयोदशी तिथि यानी किसी भी पक्ष के तेरहवें दिन से शुरू होता हैं ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योंकि सावित्री ने भी अपने पति के जीवन के लिए लगातार तीन दिनों तक व्रत रखा था।
हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के मुताबिक माना जाता हैं कि वट वृक्ष्ज्ञ के मूल यानी जड़ों में शिव, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में ब्रह्मा रहते हैं। इसीलिए वट वृक्ष यानी बरगद को देव वृक्ष भी कहा जाता हैं इनके साथ देवी सावित्री का वास भी इसी पेड़ में माना जाता हैं ज्येष्ठ माह में ये व्रत किया जाता हैं
इस व्रत के एक दिन पहले महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और सौलह श्रृंगार की तैयारियां करती हैं ऐसा करने के पीछे वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और पति की लंबी उम्र पाने की कामना होती हैं व्रत वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर के नहाती हैं इसके बाद पूजा की तैयारियों के साथ नैवेद्य बनाती हैं फिर बरगद के पेड़ के नीचे भगवान शिव पार्वती और श्री गणेश की आराधना की जाती हैं इसके बाद पेड़ को जल अर्पित करते हैं।
Tags
Astrology