मध्य प्रदेश: कमलनाथ की किस्मत का फैसला कल, सुप्रीम कोर्ट ने तय किया समय और तारीख

नई दिल्ली:  
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Government) में कमलनाथ (Kamal Nath) की किस्मत का फैसला शुक्रवार को होगा. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी पक्षों को सुना. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हमने 2 दिन चली जिरह को सुना. हमने सभी पक्षों के वकील सिंघवी, मुकुल और तुषार को सुना है. उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट 20 मार्च को होगा. यह फ्लोर टेस्ट हाथ खड़े कर मतदान होगा और इसकी वीडियोग्राफी भी होगी. इसकी समयसीमा 5 बजे तक है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर फ्लोर टेस्ट में 16 विधायक आना चाहते हैं तो कर्नाटक के डीजीपी (DGP) और मध्यप्रदेश डीजेपी सुरक्षा मुहैया कराएंगे.
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मध्य प्रदेश मामले पर सुनवाई हुई. अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर की ओर से जिरह की. सिंघवी ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि बीजेपी की ओर से बार-बार सिर्फ फ्लोर टेस्ट-फ्लोर टेस्ट की बात दोहराई जा रही है. ये सीधे सीधे स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में यूं दखल नहीं दे सकता है. दलबदल कानून के तहत 2/3 विधायकों का पार्टी से अलग होना जरूरी है. अब BJP की ओर से इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे.
सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है: सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट की बात दोहरानी शुरू कर दी गई. इस पर सिंघवी ने कहा कि कोर्ट वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. अगर आप समयसीमा भी तय न करें तो भी स्पीकर दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार है. सिंघवी ने इससे इंकार किया. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा कि दोनों के अधिकारों में संतुलन जरूरी है. विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार है तो स्पीकर को फैसला लेने का अधिकार है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे?. इस पर सिंघवी ने कहा कि इस्तीफे और अयोग्यता पर बिना फैसला हुए, फ्लोर रेस्ट नहीं होना चाहिए. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा लेकिन आप स्थिति से कैसे निपटेंगे जब स्पीकर कोई फैसला नहीं ले रहे हैं. सिंघवी ने जवाब दिया कि स्पीकर को वाजिब वक्त दिया जा सकता है. उन्हें आप दो हफ्ते दे दीजिए. उन्होंने पहले ही MLAs को नोटिस जारी किया हुआ है.
सिंघवी ने कहा- अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को उन MLAs से मिलने क्यों नहीं दिया गया?. इस पर जस्टिस गुप्ता ने सवाल किया कि क्या MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं? सिंघवी के सहमति जताने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- तब mLAs से मिलने की दलील का कोई मतलब नहीं रहा जाता. सिंघवी ने कहा कि दिग्विजय को छोड़िए, महत्वपूर्ण बात ये है कि MLA को बंधक बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते हैं. इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए.
अगर आपने इस्तीफा नामंज़ूर किया, फिर MLAs व्हिप से बंध जाएंगे: जस्टिस चंद्रचूड़ 
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर आपने इस्तीफा नामंज़ूर किया, फिर MLAs व्हिप से बंध जाएंगे. अगर उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया तो भी स्पीकर उन्हें अयोग्य करार दे सकते हैं. जस्टिस चन्दचूड़ ने अहम टिप्पणी की कि हम हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं, इसलिए जल्दी फ्लोर टेस्ट ज़रूरी होता है. सिंघवी ने जवाब दिया कि इससे ये तय होगा कि नई सरकार में अपनी पार्टी से विश्वासघात करने वाले MLA को क्या मिल सकेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पीकर द्वारा इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लिए जाने का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध है. उसे क्यों रोका जाए. 
अभिषेक सिंघवी का जवाब- जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो उस दौरान कोर्ट ने कभी भी फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दिया है. यह मामला भी ऐसा ही है. इससे पहले महारास्ट्र और कर्नाटक में जब भी फ्लोर टेस्ट का आदेश हुआ, तब वो नई विधानसभा थी. सिंघवी ने फिर दोहराया- लेकिन कर्नाटक का केस अलग था. वहां अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. अगर यहां भी ऐसा होता है तो स्पीकर नियम के मुताबिक उस पर फैसला लेंगे. सिंघवी कर्नाटक मामले में दिए SC के आदेश का हवाला दे रहे हैं. जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के अधिकारों को अहमियत दी थी और वो कब विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करेंगे, इसकी कोई समयसीमा तय नहीं की थी. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा आपकी बात सही है, लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को देर से करवाने की इजाजत भी नहीं दी थी. हमने तो ये साफ किया था कि विधायक सदन की कार्रवाई में जाए या ना जाये, ये फैसला ख़ुद करें.
जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा, आप ये कहना चाह रहे कि फ्लोर टेस्ट  एक running असेम्बली में तभी हो सकता है, जब अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो. सिंघवी ने कहा- हां, दूसरी सूरत तब है जब अगर चलते हुए हाउस में कोई मनी बिल गिर जाए, तब राज्यपाल बहुमत साबित करने को कह सकते हैं. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ का सवाल- आप तो ऐसे कह रहे है jaise running असेंबली में स्पीकर का कोई रोल ही नहीं है. जज ने कहा कि सवाल हमारे सामने ये भी है कि हमें दखल देना चाहिए. फिर राज्यपाल अभी पास मौजूद संविधानक विकल्पों के इस्तेमाल करेंगे ऐसी सूरत में. उन्होंने कहा कि अगर सत्र नहीं चल रहा और सरकार बहुमत खो देती है तो ऐसी सूरत में तो गवर्नर स्पीकर को विश्वास मत के लिए बोल सकते हैं. सत्रावसान की स्थिति में अगर सरकार बहुमत खो देती है, तो क्या गवर्नर असेम्बली को नहीं बुला सकते. एक अल्पमत की सरकार को contiune रहने की इजाजत दी जा सकती है?.
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