चाबहार समेत कई प्रमुख मुद्दों पर हुई बात, प्रधानमंत्री मोदी और ईरानी राष्ट्रपति रूहानी की मुलाकात



न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। इस मीटिंग में दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह के अलावा द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मोदी और ईरानी राष्ट्रपति के बीच हुई मुलाकात के बाद ट्वीट किया, 'ईरान के साथ विकासात्मक सहयोग को बल दिया गया। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू यॉर्क में राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ वार्ता की।'

चाबहार बंदरगाह पर हुई बात
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की और साझा हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर विचार साझा किए। दोनों नेताओं ने 2015 में उफा में अपनी पहली बैठक के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में हुई प्रगति की सकारात्मक समीक्षा की। विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने विशेष रूप से चाबहार बंदरगाह के परिचालन का उल्लेख किया और अफगानिस्तान और मध्य एशियाई क्षेत्र तक आने-जाने के लिए एक गेटवे के तौर पर इसकी भूमिका की महत्ता पर जोर दिया।

मोदी-रूहानी मीटिंग का था इंतजार
दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर काफी प्रतीक्षा की जा रही थी क्योंकि यह बैठक तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में हुई। ईरान पर सऊदी अरब के दो प्रमुख तेल संयंत्रों पर हमला करने का भी आरोप है जिसके बाद क्षेत्र में नए सिरे से तनाव बढ़ गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि दोनों नेताओं ने 'द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र में स्थिति पर अपना-अपना नजरिया रखा।'

2020 में भारत-ईरान कूटनीतिक संबंध के 70 वर्ष पूरे
प्रधानमंत्री मोदी ने खाड़ी क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में कूटनीति, संवाद और विश्वास निर्माण को प्राथमिकता देने के भारत के समर्थन को दोहराया। बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी और ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने 2020 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाने पर सहमति जताई। जून में किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर भी मोदी की रूहानी के साथ मीटिंग होनी थी, लेकिन पहले से तय बैठक कार्यक्रम संबंधी वजहों से नहीं हो सकी थी।

2018 में भारत दौरे पर आए थे रूहानी
पिछले कुछ वर्षों में भारत और ईरान के संबंध बेहतर हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान और पश्चिम एशिया के साथ भारत के संबंधों को विस्तार देने के लिए मई 2016 में तेहरान का दौरा किया था। यात्रा के दौरान भारत और ईरान ने करीब एक दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। उनमें रणनीतिक चाबहार बंदरगाह के विकास से जुड़ा समझौता भी शामिल था। बाद में, भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने बंदरगाह के जरिए माल परिवहन के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। फरवरी 2018 में रूहानी ने भारत का दौरा किया था। वह पिछले एक दशक में भारत आने वाले पहले ईरानी राष्ट्रपति थे। उनकी यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने एक दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।

अमेरिकी पाबंदी के कारण ईरान से तेल आयात नहीं कर रहा है भारत
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और वह अपनी तेल जरूरतों का करीब 80 प्रतिशत आयात से पूरा करता है। हाल तक इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान उसका तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। ईरान से तेल खरीदने के लिए अमेरिका की ओर से भारत और अन्य सात देशों को मिली छह महीने की छूट की अवधि 2 मई को समाप्त हो गई थी क्योंकि वॉशिंगटन ने इसे बढ़ाया नहीं था।

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