मध्यस्थता के माध्यम से सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से मामलों को निपटारा किया जाये: न्यायमूर्ति मिश्रा

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के निर्देशानुसार एवं मिडियेशन एण्ड काउन्सिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी (एमसीपीसी) नई दिल्ली के अनुमोदनानुसार छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में 3 अगस्त से 7 अगस्त 2019 तक राज्य के न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं हेतु आयोजित होने वाले 40 घंटे के मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 3 अगस्त 2019 को छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पुराना उच्च न्यायालय भवन बिलासपुर के सभागार में आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने संबोधित करते हुए कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से मामलों का निपटारा किया जा सकता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी की न तो हार होती है और न किसी की जीत। मध्यस्थता के क्षेत्र में विराट संभावना है। निश्चित तौर पर इस 40 घंटे के मध्यस्थता प्रशिक्षण के इस दो बैच में किये जा रहे प्रशिक्षण से मध्यस्थता के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में नई संभावनाएं एवं नया विकास होगा।
कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.सैम कोशी ने संबोधित करते हुए मध्यस्थता के महत्ता के संबंध में बताया कि हमारे देश में विवादों का मध्यस्थता के माध्यम से हल करने की सनातन परम्परा रही है। पूर्व में पंचायतों के माध्यम से विवादों का निराकरा होता था, मध्यस्थता इसी का रूप है। उन्होंने मध्यस्थता की सफलता के संबंध में केरल राज्य का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां मध्यस्थता हेतु भेजे गये 60 प्रतिशत मामलों में सफल मिलती है। छत्तीसगढ़ में हमें मध्यस्थता के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने की जरूरत है। मध्यस्थता से लंबी न्यायालयीन प्रक्रिया से मुक्ति मिलती है तथा पक्षकारों के बीच सौहाद्र्रपूर्ण संबंध बनता है एवं विवादों का शांतिपूर्ण निराकरण होता है साथ ही इससे न्यायालय का बोझ कम होता है। 
उपरोक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के सदस्य आर.सी.एस.सामंत ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था के लिये मीडियेशन एक महत्वपूर्ण भाग है। इस 40 घंटे की मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम से नये प्रशिक्षित मध्यस्थ मिलेंगे जो विवादों के निराकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण संजय कुमार अग्रवाल, सचिव कमेटी फॉर मानिटरिंग द मिडियेशन सेंटर के द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन सिद्धार्थ अग्रवाल, सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती श्वेता श्रीवास्तव अवर सचिव के द्वारा किया गया।
उक्त 40 घंटे के मिडियेशन प्रशिक्षण हेतु ट्रेनर के.के.मखीजा, अब्जर्वर दिल्ली से, सुश्री बलबीर कौर गांधी पोटेंशियल ट्रेनर हरियाणा, अशोक कुमार राय पोटेंशियल ट्रेनर झारखण्ड, सुश्री आरती शर्मा पोटेंशियल ट्रेनर मध्यप्रदेश से, सुश्री अनुपम धींगरा आब्जर्वर नई दिल्ली से, यशपाल सिंह डाहिया पोटेंशियल ट्रेनर हरियाना, राजेश दास पोटेंशियल ट्रेनर झारखण्ड, भैया मुकेश कुमार पोटेंशियल ट्रेनर झारखण्ड से आये हैं।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 3 अगस्त से 7 अगस्त 2019 तक दो बैच में चलेगा। जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों के 16 न्यायिक अधिकारीगण एवं 26 अधिवक्ता कुल 42 प्रतिभागीगण भाग ले रहे हैं। 
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम विशिष्ट रूप से न्यायमूर्ति संजय अग्रवाल, न्यायमूर्ति पी.पी.साहू, श्रीमती न्यायमूर्ति विमला सिंह कपूर उपस्थित रहीं। रविशंकर शर्मा प्रमुख सचिव विधि विभाग, एन.सी.संाखला रजिस्ट्रार जनरल, के.एल.चरियाणी निदेशक न्यायिक एकेडमी, दीपक तिवारी रजिस्ट्रार विजिलेंस, रजिस्ट्री एकेडमी, जिला न्यायालय के न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण, विधि के छात्रगण, पैरालीगल वॉलिंटियर्स इत्यादि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।  

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