चौक जैन धर्मशाला में उमड़ा श्रद्धा, भक्ति और आस्था का सैलाब

भोपाल। राजधानी के जैन धर्मावलम्बियों के लिए स्वतंत्रता दिवस एवं वात्सल्य दिवस (रक्षाबंधन) का दिन यादगार बन गया। जहाँ एक ओर राष्ट्रीय पर्व, दूसरी ओर वात्सल्य पर्व के साथ तीर्थंकर भगवान श्रेयांशनाथ का मोक्ष कल्याणक श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज मुनिश्री प्रसादसागर महाराज, मुनिश्री शैलसागर महाराज, मुनिश्री निकलंकसागर महाराज के सानिध्य में चौक जैन धर्मशाला में भक्ति का सैलाब उमड़ रहा था। मुनिसंघ के सानिध्य में भगवान श्रेयांशनाथ का अभिषेक कर सम्पूर्ण जगत में जीव कल्याण की भावना के साथ शांतिधारा की गई। आयोजन की विशेष बात यह रही कि राजधानी के प्रथम बार 14 हजार श्रीफल एकसाथ समर्पित किये गये। मुनिसंघ के सानिध्य में सम्पूर्ण देश में खुशहाली की कामना जीव मात्र के कल्याण की भावना और प्रदेश व देश के चहुंमुखी विकास की भावनाओं को संजोकर श्रीफल समर्पित किये गये। 
मुनिश्री प्रसादसागर महाराज ने कहा स्वतंत्रता को स्वछंदता मत बनाओ यह स्वतंत्रता देश के महापुरूषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपना सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर कर प्राप्त की। धर्म से बढ़कर देशहित की भावना होना चाहिए, पूजा-पाठ से पहले पीड़ितों की सेवा सबसे बड़ी मानवता है। जिस प्रकार देश स्वतंत्र हुआ है, उसी प्रकार यह आत्मा कर्म से अनादिकाल से परतंत्र है। इसे स्वतंत्र करने का यदि कोई साधन है तो वह रत्नत्रय धर्म है। कर्म से परतंत्र आत्मा को कर्म से भिन्न कर लो यही आत्म स्वतंत्रता है। कार्यक्रम दिगम्बर जैन पंचायत ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु सहित ट्रस्ट के पदाधिकारी और विभिन्न मंदिर समितियों, संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ऐतिहासिक चातुर्मास की धार्मिक समाचारों का संकलन विद्यावाणी स्मारिका के रूप में विमोचन कर समाज के सोशल मीडिया प्रभारी इंजी. सौरभ जैन, ट्रस्ट के प्रवक्ता अंशुल जैन द्वारा मुनिसंघ को भेंट की गई। 
वात्सल्य से विश्व के प्राणीमांत्र को आनन्द मिलता है- आर्यका अक्षय ज्योति 
श्वेताम्बर जैन मंदिर में चार्तुमास की साधना कर रहीं अक्षयज्योति श्रीजी म.स. ने कहा वात्सल्य पर्व है रक्षाबंधन, व्यवहार में मधुरता होती है तो वात्सल्य होता है विश्व के प्राणी मात्र को आनन्द मिलता है। वात्सल्य सम्यक्त्व का चिह्न है। वीतरागी तपोधन विश्व के प्राणी मात्र पर वात्सल्य रखते हैं। विश्व में मैत्री हो, अहिंसा का प्रचार हो, आचरण का पालन हो, यही भगवान महावीर स्वामी का संदेश है। रक्षाबंधन पर्व पर हृदय में यह सूत्र समेट लेना, ’जीओ और जीने दो‘ जीना तुम्हारा अधिकार है तो दूसरे जीवों को जीने देना तुम्हारा कर्तव्य है। अहिंसा, दया, करूणा और शाकाहार यही जैनत्व की पहचान है। श्वेताम्बर समाज के अध्यक्ष राजेश तांतेड़ सहित अनेक धर्मामवलंबी मौजूद थे।  

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