भारतीय नौसेना ने क्षेत्र के बड़े नौसेना ताकतों के साथ अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में आठ दिन का नौसैनिक अभ्यास शुरू कर दिया है. क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच इस अभ्यास का आयोजन किया गया है. एक तरफ चीन हिंद महासागर में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, दूसरी ओर, मालदीव और श्रीलंका में इमरजेंसी के हालात हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला... भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि अभ्यास में 28 पोत हिस्सा ले रहे हैं जिसमें 17 पोत ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड के हैं. द्विवार्षिक अभ्यास का आयोजन मालदीव और श्रीलंका में आपातकाल लगाए जाने और क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के बीच हो रहा है. अभ्यास के दसवें संस्करण का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना और समुद्री मार्ग में अवैध गतिविधियों से लड़ना है. नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पोतों के अलावा प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन में 16 देशों के 39 प्रतिनिधि शामिल होंगे जिससे 1995 में शुरू होने के बाद यह सबसे बड़ा अभ्यास साबित होगा.’ नौसेना के सूत्रों ने कहा कि देशों के प्रतिनिधि क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करेंगे और चीन के बढ़ते दबदबे पर भी चर्चा की जाएगी. इससे पहले फरवरी में चीन के 11 युद्धक जहाजों ने पूर्वी हिन्द महासागर में प्रवेश किया था. इस दौरान भारतीय नौसेना और चीनी नौसेना के बीच की दूरी काफी कम रह गई थी. यह एक्टिविटी ऐसे वक्त में सामने आई जब मालदीव राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है. तबाही मचाने वाले चीनी जहाज सपोर्ट टैंकर्स के साथ हिन्द महासागर में प्रवेश किए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन के नौसेना पोतों में एक ऐसा पोत भी शामिल है जिस पर विमान, हेलिकॉप्टर उतर सकते हैं.

भारतीय नौसेना ने क्षेत्र के बड़े नौसेना ताकतों के साथ अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में आठ दिन का नौसैनिक अभ्यास शुरू कर दिया है. क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच इस अभ्यास का आयोजन किया गया है. एक तरफ चीन हिंद महासागर में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, दूसरी ओर, मालदीव और श्रीलंका में इमरजेंसी के हालात हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला...
भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि अभ्यास में 28 पोत हिस्सा ले रहे हैं जिसमें 17 पोत ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड के हैं.
द्विवार्षिक अभ्यास का आयोजन मालदीव और श्रीलंका में आपातकाल लगाए जाने और क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के बीच हो रहा है.
अभ्यास के दसवें संस्करण का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना और समुद्री मार्ग में अवैध गतिविधियों से लड़ना है.
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पोतों के अलावा प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन में 16 देशों के 39 प्रतिनिधि शामिल होंगे जिससे 1995 में शुरू होने के बाद यह सबसे बड़ा अभ्यास साबित होगा.’
नौसेना के सूत्रों ने कहा कि देशों के प्रतिनिधि क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करेंगे और चीन के बढ़ते दबदबे पर भी चर्चा की जाएगी.
इससे पहले फरवरी में चीन के 11 युद्धक जहाजों ने पूर्वी हिन्द महासागर में प्रवेश किया था. इस दौरान भारतीय नौसेना और चीनी नौसेना के बीच की दूरी काफी कम रह गई थी. यह एक्टिविटी ऐसे वक्त में सामने आई जब मालदीव राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है.
तबाही मचाने वाले चीनी जहाज सपोर्ट टैंकर्स के साथ हिन्द महासागर में प्रवेश किए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन के नौसेना पोतों में एक ऐसा पोत भी शामिल है जिस पर विमान, हेलिकॉप्टर उतर सकते हैं.

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